Lok Sabha Election 2024: सभी बूथ का डेटा सार्वजनिक करने का कोई कानूनी आधार नहीं, चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से ऐसा क्यों कहा
चुनाव आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया जिसमें कहा गया कि फॉर्म 17 सी (प्रत्येक मतदान केंद्र पर डाले गए वोटों का रिकॉर्ड) के आधार पर मतदाता मतदान डेटा का खुलासा करने से मतदाताओं के बीच भ्रम पैदा होगा। ईसीआई ने शीर्ष अदालत को बताया कि फॉर्म 17सी को जनता के सामने सामान्य रूप से प्रकट करने पर नियमों में विचार नहीं किया गया है।
एएनआई, दिल्ली। देश में इन दिनों लोकसभा का चुनाव चल रहा है और मतदान प्रतिशत के हिसाब से ही राजनीतिक पार्टियां अपनी जीत हार का जोड़ घटाव लगाती हैं। वहीं, सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी जिसमें प्रत्येक मतदान केंद्र पर डाले गए वोटों का प्रतिशत 48 घंटे के भीतर सार्वजनिक किए जाने की मांग की गई थी।
वहीं इसको लेकर अब चुनाव आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया जिसमें इस याचिका का विरोध किया है। चुनाव आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर कहा कि फॉर्म 17 सी (प्रत्येक मतदान केंद्र पर डाले गए वोटों का रिकॉर्ड) के आधार पर मतदाता मतदान डेटा का खुलासा करने से मतदाताओं के बीच भ्रम पैदा होगा।
ईसीआई ने शीर्ष अदालत के समक्ष दायर एक हलफनामे में तर्क दिया कि ऐसा कोई कानूनी अधिकार नहीं है जिसका दावा सभी मतदान केंद्रों में मतदाता मतदान के अंतिम प्रमाणित डेटा को प्रकाशित करने के लिए किया जा सके। इसमें कहा गया है कि वेबसाइट पर फॉर्म 17सी अपलोड करने से शरारत हो सकती है और छवियों के साथ छेड़छाड़ की संभावना है, जो व्यापक असुविधा और अविश्वास पैदा कर सकती है।
आगे बताया गया कि नियमों के मुताबिक, फॉर्म 17सी केवल पोलिंग एजेंट को दिया जाना चाहिए और नियम किसी अन्य इकाई को फॉर्म 17सी देने की अनुमति नहीं देते हैं। ईसीआई ने शीर्ष अदालत को बताया कि फॉर्म 17सी को जनता के सामने सामान्य रूप से प्रकट करने पर नियमों में विचार नहीं किया गया है।
पोल पैनल ने एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के एक आवेदन पर हलफनामा दायर किया था जिसमें मतदान के 48 घंटों के भीतर लोकसभा चुनाव 2024 में डाले गए वोटों की संख्या सहित सभी मतदान केंद्रों पर मतदान के अंतिम प्रमाणित डेटा का खुलासा करने की मांग की गई थी।