4.14 लाख भेड़-बकरियों की हुई ईयर टैगिंग, ऑनलाइन फीड होगा डाटा; लोन व उपचार सहित मिलेंगी ये सुविधाएं
पशुपालकों को लोन और पशुओं के इलाज आदि के लिए अब परेशान नहीं होना होगा। बीमित पशु की मौत पर पशुपालकों को इंश्योरेंस आदि समय पर मिल सकेगा। पशुपालन विभाग ने समस्तीपुर में नई पहल शुरू की है। गाय भैंस की तरह अब भेड़ और बकरियों का पहचान नंबर मिलेगा। पहली बार भेड़-बकरियों और सुअरों की पहचान के लिए बारकोड टैग किया गया है।
जागरण संवाददाता, समस्तीपुर। पशुपालकों को ऋण और पशुओं का उपचार आदि के लिए अब परेशान नहीं होना पड़ेगा। बीमित पशु की मौत होने पर उन्हें इंश्योरेंस आदि भी समय पर मिल सकेगा। पशुपालन विभाग ने जिले में नई पहल शुरू की है।
गाय, भैंस की तरह अब भेड़ और बकरियों का पहचान नंबर मिलेगा। पहली बार बकरियों, भेड़ों और सुअरों की पहचान के लिए 12 संख्या वाला बारकोड टैग किया गया है।
पशुपालन विभाग में 4 लाख 80 हजार टैग आपूर्ति किया गया है। इसमें विभागीय कर्मचारी घर-घर जाकर 19 मई तक 4 लाख 14 हजार 995 बकरी व भेड़ का ईयर टैगिंग किया गया है।
राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी) में पहले भेड़ और बकरियों को शामिल नहीं किया गया था। वर्तमान में जिले में 4 लाख 35 हजार 650 भेड़-बकरियां हैं। इनमें 4 लाख 34 हजार 128 बकरी और 1522 भेड़ हैं।
टीकाकरण सहित अन्य डाटा होगा ऑनलाइन फीड
पशुपालक का आधार कार्ड संख्या इससे लिंक रहेगा। टीकाकरण सहित अन्य डाटा ऑनलाइन फीड होगा। इनके चोरी होने जाने पर बारकोड वाले टैग से ढूंढ़ने में आसानी रहेगी।
इसके पूर्व सिर्फ गाय और भैंस को ही टैग लगाया जाता था। इसके अलावा जो विभागीय योजना से कर्ज लेते थे, उन्हीं पशुपालकों के पशुओं को टैग लगाया जाता था।
टैगिंग से टीका लगने में होगी आसानी
पशुओं के लिए सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ भी आसानी से प्राप्त होगा। भेड़ और बकरी का रिकार्ड एनएडीसीपी के पोर्टल पर दर्ज रहेगा।
भेड़-बकरियों की उम्र और पालने वाले का नाम और पता भी ऑनलाइन रहेगा। भेड़ों-बकरियों को 12 डिजिट का आधार नंबर का छल्ला कान में पहनाया जाएगा।
इसके माध्यम से भेड़-बकरियों के बीमा और लोन की सुविधा भी मिलेगी। इस टैग से भेड़-बकरियों को खुरपका-मुंहपका टीका आदि भी लगेंगे।
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