Interview: 'यह क्यों नहीं कहते कि गुरु गोलवलकर भी आ जाएं तो...', संविधान और आरक्षण पर दीपांकर भट्टाचार्य की खरी-खरी
Interview Dipankar Bhattacharya दीपांकर भट्टाचार्या कहते हैं कि भाजपा संविधान बदलने और आरक्षण खत्म करने की बात कर रही है। पीएम मोदी के आर्थिक सलाहकार ने एक साक्षात्कार में स्वयं कहा था कि संविधान पुराना हो गया है। मोदी कह कह रहे कि आंबेडकर भी आ जाएं तो संविधान नहीं बदल सकते हैं। आखिर वह यह क्यों नहीं कहते कि गुरु गोलवलकर भी आ जाएं तो संविधान नहीं बदल सकता।
भुवनेश्वर वात्स्यायन, पटना। भाकपा (माले) के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य कहते हैं कि भाजपा संविधान बदलने व आरक्षण को खत्म करने की बात कर रही पर इस बहस को खुद भाजपा ने शुरू किया है। आजादी के 75 वर्ष पूरा हाेने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आर्थिक सलाहकार ने एक साक्षात्कार में स्वयं यह कहा कि संविधान पुराना हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह कह कह रहे कि आंबेडकर भी आ जाएं तो संविधान नहीं बदल सकते। आखिर वह यह क्यों नहीं कहते कि गुरु गोलवलकर भी आ जाएं तो संविधान नहीं बदल सकता।
दीपांकर भट्टाचार्य से इस बार के आम चुनाव के अन्य मुद्दों पर विस्तार से बात हुई। उनसे बात की विशेष संवाददाता भुवनेश्वर वात्स्यायन ने।
आपके दल का यह नारा था कि लोकतंत्र बचाओ देश बचाओ पर अब तो एनडीए के लोग यह कह रहे कि आप परिवार बचाओ व भ्रष्टाचार को पोषित करने वाले लोगों के साथ हैं?
उनके दल ने लोकतंत्र बचाओ, देश बचाओ का जो नारा दिया था, वह आज पूरे देश का नारा बन चुका है। भाजपा भ्रष्टाचार की बात किस मुंह से करती है? उसने तो भ्रष्टाचार संस्थागत स्वरूप प्रदान कर दिया है।
इलेक्ट्राेरल बॉन्ड को आप क्या कहेंगे? इसका जब खुलासा हुआ तो यह बात स्पष्ट रूप से सामने आयी कि भ्रष्टाचार किसने किया।
भाजपा की हिप्पोक्रेसी समझ में आती है लोगों को। भाजपा तो इस विषय पर पीट चुकी है। वाशिंग मशीन व वाशिंग पाउडर के स्लोगन चल रहे।
कहा जा रहा कि महागठबंधन के लोग अल्पसंख्यकों के वोट के लिए तुष्टीकरण कर रहे?
बहुत बड़ा झूठ है यह। अब सोच लीजिए कि भाजपा के लोगों द्वारा अल्पसंख्यक समाज के लोगों को घुसपैठिया कहा जा रहा। तथ्य यह है कि मुस्लिमों को जो आरक्षण है वह उन्हें धर्म के नाम नहीं मिल रहा।
बिहार इस मामले में पायोनियर राज्य है। जो मुस्लिम ओबीसी की श्रेणी में हैं, उन्हें उस फार्मूले के तहत आरक्षण मिलता है।
भाजपा ने आरक्षण के मुद्दे को सांप्रदायिक स्वरूप दे दिया है। भाजपा के लोगों का डर दिख रहा है। वहीं विपक्ष के लोगों का डर खत्म हो चुका है। एक कोल्ड ड्रिंक्स का टैग लाइन है-डर के आगे जीत है।
आप यह कैसे कह रहे कि भाजपा आरक्षण को खत्म करने की बात कह रही?
भाजपा के नेताओं के दिल में क्या बात है यह तो उनके संबोधनों से साफ है। वह कह रहे अबकी बार, चार सौ पार। चार सौ पार सीट हासिल कर आप क्या करना चाहते हैं जो 2019 में मिले बहुमत से नहीं कर सके ?
प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार तो यह कह ही चुके हैं कि संविधान पुराना हाे गया है। लगातार इनके एक के बाद दूसरे नेता संविधान पर बोलते रहते हैं। कॉरपोरेट का हाथ मजबूत हो रहा। अब आरक्षण का क्या फायदा है जब आप बड़े स्तर पर सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण कर रहे।
आरक्षण रहते हुए भी उसका कोई फायदा नहीं मिल रहा। इसे समझने की जरूरत है। अब बात बदल गयी है- आरक्षण के साथ-साथ हमलोग भागीदारी की बात कर रहे। भागीदारी कैसे मिले इस पर बहस हो।
भ्रष्टाचार की बात भी खूब हो रही इस चुनाव में, प्रधानमंत्री भी बोल रहे?
केजरीवाल और हेमंत सोरेन के बहाने भ्रष्टाचार पर बात कर रहे? इसमें कोई दो राय नहीं कि अगर रुपए किसी के यहां से बरामद हो रहे तो निश्चय ही कार्रवाई होनी चाहिए। पर जब भ्रष्टाचारी भाजपा के साथ चला जाए तो क्या होता है?
सत्ता जब निरंकुश हो जाएगा तो भ्रष्टाचार आएगा ही। भाजपा में तो भ्रष्टाचार की अधिक चर्चा है। भाजपा के बारे में कहा जाता था कि पार्टी विद डिफरेंस पर अब वह बात नहीं है।
महागठबंधन की इस आम चुनाव में किस तरह की उम्मीद है और वामपंथ कहां है?
भाजपा ने जब नीतीश कुमार को हाईजैक कर लिया तो यह अवधारणा बनायी गयी कि आईएनडीआईए खत्म हो गया है। पर यह परसेप्शन बन नहीं सका। वर्ष 2019 का चुनाव अलग था। पुलवामा बार-बार नही होता।
वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में ही यह दिख गया था कि वामदलों की जमीन खत्म नहीं हुई है। इस बार हम और आगे जाएंगे। आज जब लोकतंत्र संकट में है तो उसे बचाने के लिए वामपंथ की जरूरत है।
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