Bihar News : धुंध में आपकी यात्रा सुरक्षित बनाएगी NIT पटना में तैयार डिवाइस, हर मौसम में करेगा काम
Bihar News बिहार की राजधानी पटना में स्थित एनआईटी ने एक ऐसा डिवाइस बनाया है जो ठंड के दिनों में धुंध छा जाने पर भी आपके सफर को सुरक्षित बनाएगा। यह डिवाइस एक किलोमीटर दूर से ही वाहनों और दूसरी चीजों के बारे में जानकारी दे देगा। यह कम दृश्यता में भी कार और अन्य वाहनों के सुरक्षित परिचालन में कारगर है।
नलिनी रंजन, पटना। जाड़े में चाहे जितनी भी धुंध हो, आपका वाहन एक किलोमीटर आगे तक चीजों के बारे में आपको सूचित कर सफर सुरक्षित बनाएगा।
इसके अतिरिक्त यह डिवाइस वायुयान की सही लोकेशन बताने, टोल कलेक्शन के साथ-साथ सेटेलाइट बेस्ड ट्रैकिंग में उपयोग में लाया जा सकता है।
यह विशेष डिवाइस राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) ने तैयार की है, जो कम दृश्यता में भी कार व अन्य ऑटोमेटिक वाहनों के सुरक्षित परिचालन में कारगर होगा।
होलोग्राफिक मेटासर्फेस फार वीम स्टियरिंग डिवाइस।
इस डिवाइस का पेटेंट भी ग्रांट हो चुका है। अब इसके व्यावसायिक उत्पादन के लिए विभिन्न कंपनियों के साथ वार्ता चल रही है। शीघ्र ही इसका उपयोग वाहनों में हो सकेगा।
इस होलोग्राफिक मेटासर्फेस फार वीम स्टियरिंग डिवाइस को एनआइटी निदेशक प्रो. पीके जैन के निर्देशन में इलेक्ट्रोनिक्स एंड कम्युनिकेशन विभाग के डा. मनपूरन महतो ने तैयार किया है।
यह हर मौसम में कार्य करेगा। इसकी डिजाइन रेडियोफ्रिक्वेंसी बेस्ड (आरएफ) है। इसे एनआइटी के लैब में सत्यापित किया गया है।
वर्तमान में लिडार डिवाइस का हो रहा उपयोग
एनआईटी के रिसर्च नोडल अधिकारी डा. अमित कुमार ने बताया कि वर्तमान में ऑटोमेटेड कार में जिस डिवाइस का उपयोग किया जा रहा है, वह लिडार तकनीक पर आधारित है।
यह पूरी तरह लाइट के आधार पर कार्य करता है। इसके साथ धुंध व अंधेरे में कार्य करने में परेशानी होती है। लेकिन, वीम स्टियरिंग डिवाइस हर मौसम में बेहतर कार्य करेगा।
एनआईटी पटना।
यह ऑटोमेटिक कार को ध्यान में रख कर बनाया गया है। यह इमेजिंग का कार्य करता है। यह एक किलोमीटर तक की दूरी की वस्तुओं या अवरोधों की पहचान कर सकता है।
डा. मनपूरन महतो (बाएं), प्रो. पीके जैन (दाएं), एनआइटी पटना।
इसका लैब टेस्टिंग का काम भी पूरा कर लिया गया है। इसका पेटेंट स्वीकार किया गया है। प्रो. मनपूरन महतो ने बताया कि वर्ष 2021 में इसकी निर्माण प्रक्रिया आरंभ की गई, जिसे वर्ष 2022 के अंत में पूरा कर लिया गया।
इसके बाद पेटेंट प्रक्रिया पूरी की गई। फरवरी 2024 के अंत में इसका पेटेंट ग्रांट किया गया। उन्होंने बताया कि इस कार्य में बीटेक के विद्यार्थी राजा बाबू, सहायक प्राध्यापक राजन अग्रहरी ने सहयोग दिया है।
होलोग्राफिक मेटासर्फेस फार वीम स्टियरिंग डिवाइस का उपयोग।
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