ज्ञानवापी मामले में पक्षकार बनने के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के दौरान हुआ विवाद
सुनवाई के दौरान वकील सुधीर त्रिपाठी डेट लेना चाह रहे थे और वादमित्र का कहना था कि उक्त मामले में हाईकोर्ट ने छह माह में सुनवाई कर मुकदमे के निस्तारण का आदेश दे रखा है। इसी बात को लेकर शैलेंद्र पाठक व जैनेंद्र पाठक की ओर से मौजूद वकीलों से उनकी कहासुनी होने लगी। वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी का आरोप है कि इन इस दौरान उनके साथ बदसुलूकी की गई।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) प्रशांत कुमार सिंह की अदालत में पं. सोमनाथ व्यास एवं अन्य द्वारा वर्ष 1991 में दाखिल मुकदमे में लंबित मुकदमे में पक्षकार बनने के लिए पं. सोमनाथ व्यास के नाती शिवपुर निवासी शैलेंद्र कुमार पाठक और जैनेंद्र कुमार पाठक के दाखिल प्रार्थना पत्र पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान विवाद होने की वजह से अगली डेट नहीं मिल सकी है।
हालांकि बाद में वरिष्ठ वकीलों ने हस्तक्षेप कर पुलिस चौकी पर विवाद समाप्त कराया गया। वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी से दुर्व्यवहार करने वाले वकीलों ने खेद जताया।
सुनवाई के दौरान वकील सुधीर त्रिपाठी डेट लेना चाह रहे थे और वादमित्र का कहना था कि उक्त मामले में हाईकोर्ट ने छह माह में सुनवाई कर मुकदमे के निस्तारण का आदेश दे रखा है। इसी बात को लेकर शैलेंद्र पाठक व जैनेंद्र पाठक की ओर से मौजूद वकीलों से उनकी कहासुनी होने लगी।
वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी का आरोप है कि इन इस दौरान उनके साथ बदसुलूकी की गई। इसके बाद वह शिकायत करने कैंट थाना क्षेत्र के कचहरी पुलिस चौकी पहुंचे हैं।