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Haryana News: नायब सैनी सरकार गिराने को लेकर कांग्रेस-जजपा को नहीं एक-दूसरे पर भरोसा, जानें इसके पीछे की बड़ी वजह

हरियाणा में बीते 24 घंटे में बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम बदला है। इसलिए अल्पमत में होते हुए भी मुख्यमंत्री नायब सैनी की सरकार सेफ जोन में है। कांग्रेस ने जजपा के पाले में गेंद डाली है। साथ ही कहा कि जजपा राज्यपाल को समर्थन वापसी का पत्र लिखे। इसके बाद दुष्यंत चौटाला ने जवाब देते हुए कहा कि हमने नायब सरकार को नहीं बल्कि मनोहर सरकार को समर्थन दिया था।

By Anurag Aggarwa Edited By: Monu Kumar Jha Published: Wed, 08 May 2024 07:40 PM (IST)Updated: Wed, 08 May 2024 08:31 PM (IST)
Haryana Politics News: नायब सरकार गिराने को लेकर कांग्रेस-जेजेपी को नहीं एक दूसरे पर भरोसा।

अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। (Haryana Politics Hindi News) हरियाणा की अल्पमत में आई भाजपा सरकार के विरुद्ध प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाती दिखाई नहीं दे रही है। कांग्रेस ने 10 विधायकों वाली जननायक जनता पार्टी (जजपा) के पाले में गेंद सरकाते हुए कहा है कि वह राज्यपाल को पत्र लिखकर भाजपा सरकार से समर्थन वापसी का ऐलान करे।

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जजपा (JJP News) ने कांग्रेस की सलाह को खारिज करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी (Nayab Singh Saini) की सरकार को हमारी पार्टी का समर्थन न पहले था और न अब है। जजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार को अपना समर्थन दिया था, जो उनके हटने के बाद खत्म हो गया। ऐसे में कांग्रेस को नायब सिंह सैनी की सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने की पहल करनी चाहिए। जेजेपी उसका बाहर से समर्थन करेगी।

कांग्रेस और जजपा की इस लड़ाई में सत्तारूढ़ भाजपा को फायदा हो रहा है। तीन निर्दलीय विधायकों रणधीर गोलन, धर्मपाल गोंदर और सोमवीर सांगवान के भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा के तुरंत बाद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल (Manohar Lal) ने दावा किया था कि भाजपा सरकार को किसी तरह का खतरा नहीं है।

इन तीनों विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद भाजपा सरकार अल्पमत में आ गई थी। 88 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को बहुमत साबित करने के लिए 45 विधायकों की जरूरत है। भाजपा के पास स्वयं के 40, एक हलोपा विधायक गोपाल कांडा (Gopal Kanda) और दो निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद व नयनपाल रावत का समर्थन हासिल है।

भाजपा (Haryana BJP) दावा करती है कि जेजेपी के 10 विधायकों में से चार उसके साथ हैं, जबकि कांग्रेस का दावा है कि जेजेपी के दो विधायक उसके साथ हैं। विधानसभा में जब बहुमत साबित करने की बात आएगी तो जेजेपी के यह संतुष्ट छह विधायक कहां जाएंगे, इसका मौके पर ही पता चल सकेगा।

नई राजनीतिक परिस्थितियों में कांग्रेस (Haryana Congress) विधायक दल के उप नेता चौधरी आफताब अहमद ने कहा है कि 2019 के चुनाव नतीजों के बाद से ही भाजपा अल्पमत में है। जेजेपी के 10 विधायकों के समर्थन से सवा चार वर्षों तक भाजपा की सरकार चली।

जजपा राज्यपाल को पत्र लिखकर भाजपा से समर्थन वापस ले। राज्यपाल को यह बताना होगा कि भाजपा सरकार अल्पमत में है और बहुमत खो चुकी है। इसके बाद कांग्रेस अपना अगला कदम उठाएगी। आफताब ने कहा कि इनेलो विधायक अभय चौटाला (Abhay Chautala) और महम के निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू भी विपक्ष के विधायक हैं। ऐसे में उन्हें भी राज्यपाल को अल्पमत की सरकार के खिलाफ पत्र लिखना चाहिए।

जजपा के वरिष्ठ उप प्रधान दुष्यंत चौटाला एवं प्रधान महासचिव दिग्विजय चौटाला ने यह कहते हुए कांग्रेस को जवाब दिया कि उनकी पार्टी को भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने का पत्र लिखने की जरूरत नहीं है, क्योंकि जेजेपी ने नायब सरकार को समर्थन दिया ही नहीं है।

जजपा ने मनोहर सरकार को समर्थन दिया था। गठबंधन टूटने के साथ ही समर्थन भी खत्म हो चुका था। दुष्यंत चौटाला के अनुसार कांग्रेस सबसे बड़ा विपक्षी दल है। ऐसे में पहल कांग्रेस को करनी है। अगर कांग्रेस सरकार गिराने के लिए कदम बढ़ाएगी तो जजपा उसे बाहर से समर्थन करेगी।

कांग्रेस ने हमारे साथ अभी तक किसी तरह का संपर्क नहीं साधा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब राज्य में नायब सैनी की नई सरकार है। उनके खिलाफ अविश्ववास प्रस्ताव के लिए छह महीने के गैप (अंतर) की जरूरत नहीं है। कांग्रेस गुमराह कर रही है।

कांग्रेस और भाजपा को इसलिए नहीं एक दूसरे पर भरोसा

- कांग्रेस अगर भाजपा सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहेगी तो उसे विधानसभा के मानसून सत्र का इंतजार करना होगा

- हालांकि इससे पहले कांग्रेस राज्यपाल को पत्र लिखकर कह सकती है कि मौजूदा भाजपा सरकार अल्पमत में है। ऐसे में सरकार को भंग कर राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए और प्रदेश में विधानसभा के चुनाव करवाए जाएं

- कांग्रेस अभी सरकार बनाने का दावा पेश करेगी, इसमें इसलिए संशय है, क्योंकि उसके पास भी सरकार बनाने के लिए पर्याप्त संख्या बल नहीं है। कांग्रेस के खुद के 30 विधायक हैं

- पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली जेजेपी के 10 विधायकों के समर्थन के बिना कांग्रेस ऐसा कोई कदम नहीं उठा सकेगी

- कांग्रेस को यह डर है कि जेजेपी के 10 विधायकों में से छह ‘बागी’ हो चुके हैं। चार भाजपा के साथ हैं और दो कांग्रेस के साथ हैं। ऐसे में यदि भाजपा के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है तो वह फिर गिर सकता है।

बहुत से विधायक हमारे संपर्क में भी - मनोहर लाल

यह चुनावी माहौल है। कौन किधर जाता है, किधर से आता है। इसका कोई खास अंतर नहीं पड़ने वाला है। बहुत से विधायक हमारे भी संपर्क में हैं। इसलिए किसी को यह चिंता करने की जरूरत नहीं है कि सरकार अल्पमत में है। कब कौन क्या करेगा, चुनाव अभी लंबा है, धीरे-धीरे सब पता चल जाएगा।

- मनोहर लाल, पूर्व सीएम, हरियाणा

मेरे पास नहीं विधायकों के समर्थन वापसी की कोई सूचना-स्पीकर

विधानसभा में राजनीतिक दलो के विधायकों की जो स्थिति पहले थी, आज भी वही है। 90 सदस्यीय विधानसभा में करनाल के विधायक के रूप में मनोहर लाल और रानियां के विधायक के रूप में रणजीत चौटाला विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफे दे चुके हैं। अब 88 सदस्यों की विधानसभा है, जिसमें भाजपा के 40, जेजेपी के 10, निर्दलीय छह, कांग्रेस के 30, एक हलोपा और एक विधायक इनेलो का है।

जब किसी सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव आता है तो उसके छह महीने बाद ही दूसरा अविश्वास प्रस्ातव लाया जा सकता है। भाजप सरकार फिलहाल अल्पमत में है, मैं यह नहीं मानता। तीन निर्दलीय विधायकों द्वारा भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने की कोई अधिकृत सूचना मेरे पास नहीं आई है।

निर्दलीय विधायकों द्वारा पहले दिया गया समर्थन ठीक था या अब उनका फैसला ठीक है, इस पर राज्यपाल ही कोई निर्णय देंगे। सेशन बुलाने का फैसला भी उन्हीं का होगा। फिलहाल भाजपा सरकार पूरी तरह से स्थायित्व लिए हुए है।

- डा. ज्ञानचंद गुप्ता, स्पीकर, हरियाणा विधानसभा

हमारे तरकश में कई तीर बाकी - अनिल विज

मुझे दुख है कि निर्दलीय विधायकों ने अपना समर्थन वापस ले लिया है। लेकिन पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है। हुड्डा की ख्वाहिशें कभी पूरी नहीं हो सकती। अभी हमारे तरकश में कई तीर बाकी हैं। हमारी सरकार तीन इंजन की सरकार है। सरकार के तीन इंजन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल हैं।

- अनिल विज, पूर्व गृह मंत्री, हरियाणा

राज्यपाल के विवेक पर बहुत कुछ निर्भर करेगा

स्थिति असाधारण है, लेकिन मौजूदा स्थिति से भाजपा सरकार के लिए कोई खतरा पैदा होता दिखाई नहीं दे रहा है। विपक्ष ने यदि सीएम नायब सिंह सैनी से विश्वास प्रस्ताव मांगा है तो यह सरकार, विपक्ष और राज्यपाल के बीच की स्थिति बनती है। अगर विपक्ष राज्यपाल के सामने अपना बहुमत साबित करने का दावा करता है तो राज्यपाल सरकार के मुखिया को विश्वास मत हासिल करने के लिए कह सकते हैं। सब कुछ राज्यपाल के अपने विवेक पर निर्भर करेगा।

- राम नारायण यादव, पूर्व अतिरिक्त सचिव, हरियाणा विधानसभा

अविश्वास प्रस्ताव के लिए छह महीने के अंतराल की अनिवार्यता नहीं - हेमंत

दो अविश्वास प्रस्तावों के मध्य छह महीने का अंतराल होने के बारे में संविधान या विधानसभा नियमावली में किसी तरह का उल्लेखन नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों के अनुसार सदन के भीतर ही सत्तारूढ़ सरकार का बहुमत या अल्पमत साबित हो सकता है।

राजभवन या सार्वजनिक स्थलों पर विधायकों की परेड कराने का भी विधि सम्मत कोई प्रविधा नहीं है। अगर कांग्रेस और जेजेपी वास्तव में गंभीर हैं तो राज्यपाल को ज्ञापन देकर नायब सैनी सरकार को सदन में ताजा विश्वासमत हासिल करने का निर्देश दिला सकते हैं। अगर राज्यपाल नहीं करते तो अदालत का हस्तक्षेप भी संभव है।

- हेमंत कुमार, एडवोकेट, पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट


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