IIT Kanpur के वैज्ञानिकों का कमाल, टोनर रिसाइक्लिंग से कार्ट्रिज सस्ता करके ई-वेस्ट का पहाड़ बनने से रोका- हर माह डेढ़ लाख टोनर हो रहा रिसाइकल
IIT Kanpur News Update वहीं आइआइटी कानपुर की स्टार्टअप कंपनी आर-क्यूब रीसाइक्लिंग इसी समस्या का समाधान कर पर्यावरण संरक्षित करने में जुटी है। पुराने कार्ट्रिज को उपभोक्ताओं से वापस लेकर बदले में सस्ती दर पर नया कार्ट्रिज देकर कंपनी ई-कचरा बनने से रोक रही है। दिसंबर 2023 तक 40 लाख पुराने कार्ट्रिज को ई-कचरा बनने से रोका जा चुका है।
अखिलेश तिवारी, कानपुर : कार्बन और पालिमर से तैयार होने वाला टोनर पाउडर पूरी दुनिया में ई-वेस्ट का पहाड़ खड़ा कर रहा है। बीते साल भारत में 160 करोड़ किग्रा ई-कचरा निकला है जिसमें प्रिंटर कार्ट्रिज यानी टोनर पाउडर व अन्य सामग्री का योगदान 19.2 करोड़ किग्रा है जो करीब 12 प्रतिशत है।
आइआइटी कानपुर की स्टार्टअप कंपनी आर-क्यूब रीसाइक्लिंग इसी समस्या का समाधान कर पर्यावरण संरक्षित करने में जुटी है। पुराने कार्ट्रिज को उपभोक्ताओं से वापस लेकर बदले में सस्ती दर पर नया कार्ट्रिज देकर कंपनी ई-कचरा बनने से रोक रही है। दिसंबर 2023 तक 40 लाख पुराने कार्ट्रिज को ई-कचरा बनने से रोका जा चुका है।
एक हजार साल में भी विनाश संभव नहीं : वैज्ञानिक
प्रिंटिंग तकनीक के विकास के साथ ही टोनर पाउडर का कचरा पूरी दुनिया के लिए समस्या बन रहा है। कंप्यूटर के प्रिंटर कार्ट्रिज में प्लास्टिक, धातु (एल्यूमीनियम और अन्य धातुओं की छोटी मात्रा), रबर, कागज, फोम और टोनर पाउडर का प्रयोग किया जाता है। यह पाउडर कार्बन और पालिमर से बनता है।
विज्ञानियों के अनुसार इसका विनाश एक हजार साल में भी संभव नहीं है। प्रिंटर कार्ट्रिज का प्रयोग करने वाले इसे कचरे में फेंक दे रहे हैं जहां कबाड़ का काम करने वाले एल्युमीनियम समेत अन्य धातुएं तो निकाल लेते हैं, लेकिन टोनर पाउडर को जमीन में डाल देते हैं।
इसके स्थायी समाधान के लिए आर-क्यूब ने प्रिंटर कार्ट्रिज को वापस लेकर और टोनर पाउडर को दोबारा उपयोगी बनाने का काम शुरू किया है। टोनर पाउडर को पुन: उपयोगी बनाने वाली यह एशिया की अकेली कंपनी है, लेकिन जागरूकता के अभाव में हर माह लाखों टोनर कार्ट्रिज कंपनी के पास तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।
भूटान से 30 हजार कार्ट्रिज की हर महीने हो रही रीसाइकलिंग
आर-क्यूब ने पांच साल पहले अपने रीसाइकल बिजनेस की शुरुआत की है। मुंबई समेत देश के बड़े शहरों में कंपनी काम कर रही है। वर्ष 2023 में थिम्पू, भूटान में इसकी शुरुआत की और अब हर माह 30 हजार कार्ट्रिज लेकर नए कार्ट्रिज की आपूर्ति कर रही है। पर्यावरण जागरूकता के लिए कंपनी ने टेक बैक स्कीम शुरू की है।
इसके तहत उपभोक्ताओं से पुराने कार्ट्रिज लेकर बदले में नया कार्ट्रिज 100 रुपये सस्ता दिया जा रहा है। कंपनी के सह संस्थापक महेश रावरिया बताते हैं कि नया टोनर कार्ट्रिज बनाने में 4.8 किग्रा कार्बन उत्सर्जन होता है। रीसाइकल कर हम इसे शून्य कर रहे हैं और हर साल चीन से होने वाले टोनर पाउडर आयात को भी घटा रहे हैं। हर माह डेढ़ लाख कार्ट्रिज को अभी रीसाइकिल कर रहे हैं।
प्रिंटर कार्ट्रिज कचरे को अभी तक जमीन में दबाने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं था। अब इसे उपयोगी बनाने से बीते साल में करीब 18 लाख रुपये का टोनर पाउडर आयात घटाया है। इससे पर्यावरण भी सुरक्षित हो रहा है और कार्बन उत्सर्जन भी कम हो रहा। अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप उत्पाद तैयार करके सात देशों में निर्यात भी शुरू कर दिया है। आइआइटी कानपुर के साथ जुड़कर कंपनी अब तेजी से कार्य विस्तार कर रही है।
- रवि रावरिया, सीईओ व संस्थापक आर-क्यूब