एआई तकनीक चिकित्सकों का स्थान नहीं ले सकती, IMA प्रमुख डॉ अशोकन ने क्यों कही ये बात?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) चिकित्सकों का स्थान नहीं ले सकती लेकिन यह तकनीक चिकित्सा क्षेत्र के पेशेवरों की मदद कर सकती है। भारतीय चिकित्सा संघ (आइएमए) के अध्यक्ष डॉ आरवी अशोकन ने यह बात कही। डॉ अशोकन एक साक्षात्कार में कहा कि चिकित्सा पेशा हमेशा से तकनीक को अपनाने में सबसे आगे रहा है। लेकिन यह चिकित्सक और एक मरीज के बीच के संबंध को दरकिनार नहीं कर सकता।
पीटीआई, नई दिल्ली। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) चिकित्सकों का स्थान नहीं ले सकती लेकिन यह तकनीक चिकित्सा क्षेत्र के पेशेवरों की मदद कर सकती है। भारतीय चिकित्सा संघ (आइएमए) के अध्यक्ष डॉ आरवी अशोकन ने यह बात कही। डॉ अशोकन एक साक्षात्कार में कहा कि चिकित्सा पेशा हमेशा से तकनीक को अपनाने में सबसे आगे रहा है। लेकिन यह चिकित्सक और एक मरीज के बीच के संबंध को दरकिनार नहीं कर सकता।
उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति चिकित्सक का स्थान नहीं ले सकता है। जब मरीज कमजोर और असहाय स्थिति में होता है तो कोई भी विज्ञान उसका इलाज नहीं कर सकता है। उस समय केवल चिकित्सक का स्पर्श, आशा, आंखों के बीच का संपर्क और आश्वासन ही काम करता है। अशोकन ने कहा कि एआइ, टेलीमेडिसिन और रोबोटिक सर्जरी जैसी नई प्रौद्योगिकियां चिकित्सा क्षेत्र को काफी आगे बढ़ाएंगी लेकिन मुझे लगता है कि चिकित्सक हमेशा मौजूद रहेंगे।
उन्होंने कहा कि उनकी नजर में चिकित्सा की कला चिकित्सा विज्ञान से बड़ी है। चिकित्सकों पर हिंसक हमले पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से ऐसे मामले संस्कृति का हिस्सा बनते जा रहे हैं। हम सरकार से पूछ रहे हैं कि अगर एयरलाइन कर्मचारी देश के लिए इतने खास हैं, तो कृपया हमें भी कुछ सुरक्षा दीजिए।
उन्होंने आगे कहा कि लगभग 23 राज्यों ने चिकित्सकों के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए कानून पारित किए हैं, लेकिन ये धरातल पर निष्प्रभावी हैं। चिकित्सकीय लापरवाही के लिए चिकित्सकों की सजा पर आईएमए प्रमुख ने कहा कि कोई भी चिकित्सक आपराधिक रूप से दोषी नहीं है। क्या आईएमए इन आरोपों से चिंतित है कि दवा कंपनियां चिकित्सकों को अपने ब्रांड की दवा लिखने के लिए प्रभावित कर रही हैं और सम्मेलनों की आड़ में उन्हें उपहार के रूप में रिश्वत देती हैं? इस सवाल पर अशोकन ने कहा कि चिकित्सा क्षेत्र के पेशेवरों को निर्धारित शिष्टाचार का पालन करना होगा।
प्रति सप्ताह 60 घंटे काम होना चाहिए
चिकित्सकों के लिए उचित कामकाजी घंटे निर्धारित करने के लिए और उन्हें एक दिन में आराम के लिए उचित समय देने के लिए राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान परिषद (एनएमसी) द्वारा नए नियम लाने पर अशोकन ने कहा कि हमारे युवा चिकित्सक 86 घंटे या 100 घंटे काम कर रहे हैं, जबकि आईटी जगत के एक दिग्गज उद्योगपति कह रहे हैं कि भारत को प्रति सप्ताह 60 घंटे काम करना चाहिए।
अशोकन ने कहा कि चिकित्सक काम के घंटे घटाकर इसे प्रति हफ्ते 60 घंटे करने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत दुनियाभर में सर्वाधिक चिकित्सक देने वाला देश है जहां हर साल एक लाख 10 हजार लोग 706 मेडिकल कालेज से चिकित्सक बनकर निकलते हैं।