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'2024 तो ट्रेलर है, 2027 के लिए भाजपा का रास्ता साफ', पंजाब भाजपा के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने दिए सवालों के बेबाक जवाब, पढ़िए इंटरव्यू

Lok Sabha Election 2024 पंजाब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ से खास बातचीत की है जागरण नेटवर्क ने जिसमें उन्होंने सभी सवालों का बेबाकी से जवाब दिया। उन्होंने किसान आंदोलन से लेकर पंजाब की राजनीति आम आदमी पार्टी और लोकसभा चुनाव समेत पंजाब विधानसभा चुनाव पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि 2024 तो बस एक ट्रेलर है। पढ़ें पूरा इंटरव्यू-

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Published: Sun, 26 May 2024 04:51 PM (IST)Updated: Sun, 26 May 2024 04:51 PM (IST)
Lok Sabha Election 2024: सुनील जाखड़ ने दावा किया कि 2027 में पंजाब विधानसभा चुनाव में भाजपा जीतेगी।

इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। भारतीय जनता पार्टी पहली बार बिना किसी गठबंधन के पंजाब की सभी संसदीय सीटों पर चुनाव लड़ रही है। तीन कृषि सुधार कानूनों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के गारंटी कानून को लेकर भाजपा प्रत्याशियों का भारी विरोध भी हो रहा है, फिर भी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष  को आस है कि आने वाला समय भाजपा का है।

वह इन दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित अन्य केंद्रीय नेताओं की रैलियां करवाने में व्यस्त हैं। उनके इस व्यस्त कार्यक्रम के बीच दैनिक जागरण के पंजाब ब्यूरो प्रमुख इन्द्रप्रीत सिंह ने उनसे बातचीत की। पेश है उसके अंश।

सवाल - भाजपा पहली बार पंजाब की सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही है, आपको कितनी उम्मीद दिखाई दे रही है?

जवाब - मुझे लगता है कि नतीजे मेरी उम्मीद से ज्यादा अच्छे आएंगे। लोगों ने 2022 के विधानसभा चुनाव में सभी जाति, धर्म, पार्टियों और नेताओं को नकारते हुए आम आदमी पार्टी के 92 विधायकों को जितवाया था, लेकिन आप सरकार लोगों की अकांक्षाओं पर खरी नहीं उतरी। दूसरी ओर भाजपा ने कई सशक्त निर्णय लेकर अपने आप को साबित किया है। लोकसभा चुनाव 2024 तो मात्र एक ट्रेलर है, लेकिन मुझे विधानसभा चुनाव 2027 के लिए भाजपा का रास्ता साफ दिखाई पड़ रहा है।

सवाल - भाजपा के प्रत्याशियों का लगातार विरोध हो रहा है, उन्हें प्रचार करने भी नहीं दिया जा रहा, इस पर आप क्या कहते हैं?

जवाब - यह विरोध किसानों का नहीं है, बल्कि सीधे तौर पर किसान संगठनों में क्रेडिट वार दिखाई पड़ रही है। असली मुद्दा क्या है? फसलों की एमएसपी पर खरीद या किसानों की आमदनी? अगर फसलों की खरीद है तो पंजाब में किसानों का गेहूं व धान का एक -एक दाना एमएसपी पर खरीदा जा रहा है। इससे बड़ी गारंटी क्या होगी?

केंद्र सरकार ने पांच अन्य फसलों की भी एमएसपी पर खरीद करने की बात मान ली थी, लेकिन किसान नेताओं की क्रेडिट वार के कारण बात सिरे नहीं चढ़ सकी। इसके लिए भाजपा को निशाना बनाया जा रहा है। केंद्र सरकार की ओर से खरीद के लिए कैश क्रेडिट लिमिट देनी है, वह समय पर मिल रही है।

सवाल - आप किसान परिवार से हैं? क्या आपने विरोध कर रहे किसान संगठनों से बात करने की कोशिश की?

जवाब - पार्टी स्तर पर हमने कोई बात नहीं की, लेकिन केंद्र सरकार के स्तर पर छह बैठकें हुईं। किसानों की ओर से मुख्यमंत्री भगवंत मान ने उनका वकील होने का दावा किया था। पांच अन्य फसलों को एमएसपी पर खरीदने का निर्णय भी हो गया था, लेकिन खराब वकील के कारण बातचीत सिरे नहीं चढ़ सकी।

किसान नेताओं को समझना चाहिए कि असली बात केवल एमएसपी नहीं है, बल्कि किसानों की आय बढ़ाने की है। अगर वे नकारात्मक सोच न अपनाएं तो केंद्र सरकार काफी सहयोग दे सकती है। पोल्ट्री, डेयरी , छोटे भंडारण, कोल्ड स्टोरेज आदि लगाने में वित्तीय सहायता केंद्र सरकार कर सकती है, लेकिन अफसोस इस बात का है कि किसान संगठन इस ओर नहीं चल रहे हैं।

सवाल - भाजपा के फरीदकोट से प्रत्याशी हंसराज हंस ने किसानों को दो जून के बाद देख लेने की धमकी दी है, आप ने इसकी शिकायत चुनाव आयोग से भी की है। क्या आपको लगता है कि इसका पार्टी को नुकसान हो सकता है?

जवाब - देखिए हंसराज हंस भी हाड़-मांस के ही बने हैं। किसान संगठन उन्हें रोजाना जलील करते हैं। वह पिछले डेढ़ महीने से उनकी मिन्नतें कर रहे हैं। यह जागीरदारी सोच का जमाना नहीं है कि गांव के एक मुखिया ने जो कह दिया तो सारा गांव उसी ओर चलेगा। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था है। सभी को अपनी बात रखने का पूरा हक है। हंस के कहने के तरीके से मैं सहमत नहीं हूं, लेकिन कभी तो बंदे को गुस्सा आएगा ही।

सवाल - किसानों में तीन कृषि सुधार कानूनों को लेकर नाराजगी थी, आप इसका विरोध करने वाले पहले नेता थे।

जवाब - हां, मैं मानता हूं कि किसानों के मन में एक वर्ष तक चले आंदोलन को लेकर टीस है। आखिर इस आंदोलन में उन्होंने 750 किसानों को गंवाया है। मुझे लगता है कि इन कानूनों को बनाने में किसानों की राय भी ली जाती तो ये कानून पंजाब की कृषि को एक नई दिशा दे सकते थे। अब ये रद्द हो गए हैं, लेकिन अब भी कुछ लोग इसे मसला बनाए रखना चाहते हैं। खेतीबाड़ी में बदलाव की जरूरत है।

विशेषज्ञ भी यही कह रहे हैं। पंजाब में तो एमएसपी मिल रही है, फिर भी किसान परेशान हैं। इसका अर्थ है कि बीमारी कहीं और है, हम इलाज कहीं और ढूंढ़ रहे हैं। मेरी किसानों से अपील है कि वह भोले बेशक रहें, लेकिन किसी के मोहरे न बनें।

किसान संगठन उन दो एकड़ वालों के बारे में भी सोचें, जिनको पूरी एमएसपी मिलने के बाद भी घर चलाना मुश्किल है। मजदूरों के बारे में भी सोचें, जिनके पास कुछ भी नहीं है, लेकिन किसान संगठनों की मांगों में उनका कहीं नाम नहीं है।

सवाल - बरनाला में किसानों और व्यापारियों के बीच में क्लैश को आप कैसे देखते हैं?

जवाब - यह एक स्थानीय मसला था, जिसे हल करना भगवंत मान सरकार का काम था, लेकिन उन्होंने इस पर एक शब्द भी नहीं कहा, जबकि यह उनके अपने जिले का मामला है। सवाल यह है कि प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी इस पर मुंह नहीं खोल रही है। क्योंकि भगवंत मान ने सभी को डरा रखा है और केसों के डर से कांग्रेसियों ने सरेंडर कर रखा है।

सवाल - फिरोजपुर सीट पर आपके परिवार ने कई बार चुनाव लड़ा और जीता भी, इस बार आप पीछे क्यों हट गए?

जवाब - सवाल यह नहीं है कि कौन लड़ रहा है कौन नहीं..एक तरफ हम 13 सीटें लड़ने की बातें कर रहे हैं दूसरी ओर मैं भी खड़ा हो जाता तो अन्य जगहों पर कौन लड़वाता। दूसरा, जिस दिन से कांग्रेस को छोड़ा था, उसी दिन आगे से चुनाव न लड़ने का निर्णय कर लिया था। मुझे तो बहुत हैरानी हुई कि अपने आप को धर्म निरपेक्ष कहने वाली कांग्रेस में हिंदू और सिख की बात होती है?

मुझे हिंदू होने के कारण सीएम नहीं बनाया गया। क्या मैं माचिस हूं, जिसके सीएम बनने से पंजाब में आग लग जाती। कांग्रेस में सैम पित्रोदा कुछ कहते हैं तो पार्टी कह देती है कि यह सैम का अपना बयान है, पार्टी का नहीं। मेरी बारी में तो ऐसा नहीं कहा गया। सिर्फ एक श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदारी ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने मेरे हक में आवाज उठाई।

सवाल - तो क्या भाजपा में हिंदू सिख की बात नहीं होती ? यहां भी तो यही भाजपा सिख चेहरों की तलाश में रहते हुए पगड़ीधारी लोगों को ज्यादा तवज्जो दे रही है?

जवाब - भाजपा में हिंदू व सिख की बात नहीं होती। हमने संसदीय सीटों पर सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है।

सवाल - शिरोमणि अकाली दल के साथ भाजपा का गठबंधन नहीं हुआ, क्या आपको नहीं लगता कि इससे दोनों पार्टियों को नुकसान हो रहा है?

जवाब - गठबंधन न करने का निर्णय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का था, जो मैं समझता हूं एक बड़ा निर्णय था। मैं यकीन के साथ कह सकता हू कि यह एक सही निर्णय था और 2027 में पंजाब के लोग भाजपा को सत्ता में लाएंगे।

सवाल - भाजपा बेशक लोकसभा की तीन और विधानसभा की 23 सीटें ही लड़ती रही है, लेकिन इसके बावजूद पार्टी का अन्य शहरों में भी काडर था। पार्टी ने मात्र तीन सीटें ही अपने काडर से दी हैं। बाकी बाहरी उम्मीदवार उतारे गए हैं, क्या इससे पार्टी में निराशा नहीं है?

जवाब - नहीं, निराशा जैसी कोई बात नही है। पार्टी काडर में भी सीटें दी गई हैं। शिअद के साथ गठबंधन करके पार्टी अपना प्रसार नहीं कर सकी। प्रकाश सिंह बादल को लोग राजनीति का बरगद कहते हैं, आपको पता है बरगद अपने नीचे कुछ नहीं होने देता। ऐसा ही उन्होंने भाजपा के साथ किया। ऐसे में जब पार्टी ने अलग लड़ने का निर्णय लिया तो हमारे पास दो ही विकल्प थे। या तो हम शेष 94 सीटों पर लीडरशिप पैदा करने का इंतजार करते या फिर दूसरी पार्टी की स्थापित लीडरशिप से पांव पसारते। हमने दूसरा विकल्प चुना।

सवाल - पंजाब में श्रीराम मंदिर कितना बड़ा मुद्दा है?

जवाब - यह आस्था का मुद्दा है, लेकिन मंदिर बनने से लोगों में पीएम मोदी की सशक्त नेता के रूप में पहचान हुई है। मंदिर बनाना बड़ा निर्णय था। उन्होंने ऐसा करके दिखाया। कोई फसाद नहीं हुआ।

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