नेपाल में नई सरकार चुनने के लिए रविवार को मतदान
नेपाली कांग्रेस जीती तो भारत का प्रभाव बढ़ेगा, कम्युनिस्ट जीते तो बढ़ेगा चीन का दखल, प्रधानमंत्री देउबा को उम्मीद, देश को स्थायित्व और संपन्नता की ओर ले जाएगा यह चुनाव
काठमांडू, रायटर। नेपाल की संसद और सात विधानसभाओं को चुनने के लिए पहले चरण का मतदान रविवार को होगा। इस चुनाव के परिणाम ही तय करेंगे कि नेपाल की अगली सरकार के भारत और चीन के साथ कैसे संबंध रहेंगे। सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस जीती तो भारत का प्रभाव बढ़ेगा लेकिन कम्युनिस्ट पार्टियों का गठबंधन जीता तो इस हिमालयी देश में चीन का दखल बढ़ेगा।
वर्ष 2008 में राजशाही के अंत और जनतंत्र की शुरुआत के बाद से नेपाल में पहली बार सात विधानसभाओं के लिए भी चुनाव कराए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा का मानना है कि यह चुनाव देश को स्थायित्व और संपन्नता की ओर ले जाएगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि वाम पार्टियों का गठबंधन जीता तो देश में चीनी निवेश तेजी से बढ़ेगा। कम्युनिस्ट यूएमएल पार्टी ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वह देश के सबसे बड़े हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट को वापस चीन को सौंप देगी। करार की शर्तें पूरी नहीं कर पाने पर देउबा सरकार ने चीन के साथ इस समझौते को रद कर दिया था।
यूएमएल के महासचिव ईश्वर पोखरेल ने कहा, चीन के गेझोबा ग्रुप कॉरपोरेशन से 2.5 अरब डालर में 1200 मेगावाट के इस संयंत्र के लिए हुए समझौते में कुछ गलत नहीं हुआ। चीन के साथ समझौता रद होते ही भारत की एनएचपीसी कंपनी के अध्यक्ष ने इस प्रोजेक्ट के लिए बोली लगाने की बात कही थी। भारत सालों से नेपाल के बड़े प्रोजेक्ट में सहयोग करता रहा है। अफसरों के मुताबिक गत मार्च में नेपाल में हुए निवेशक सम्मेलन में चीनी निवेशकों ने 8.4 अरब डालर का निवेश करने का इरादा जाहिर किया था, जबकि भारत के निवेशकों की ओर से मात्र 30 करोड़ डालर का निवेश करने की इच्छा जाहिर की गई।
मतदाता 1.5 करोड़
संसद सदस्य 275
दो चरणों में मतदान 26 नवंबर व 7 दिसंबर
नतीजों की घोषणा 15 दिसंबर तक
पहली बार सात विधानसभाओं के लिए भी मतदान
मधेसी समुदाय का आरोप, नेपाल की मुख्य पार्टियों ने उन्हें हमेशा नजरअंदाज किया
भारत की सीमा से लगे देश के दक्षिणी हिस्से में रहने वाले मधेसी समुदाय का आरोप है कि नेपाल की मुख्य पार्टियों ने उन्हें हमेशा नजरअंदाज किया है। नेपाल की जनसंख्या में तीसरी बड़ी आबादी 2.8 करोड़ मधेसियों की है। देउबा ने वादा किया है कि चुनाव जीतने के बाद मधेसियों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए वह संविधान में संशोधन भी करेंगे। मधेसियों ने यदि नेपाली कांग्रेस को समर्थन दिया तो देउबा की चुनावी राह आसान हो जाएगी। सात दिसंबर को दूसरे चरण के मतदान के बाद मतगणना शुरू होगी। भारी-भरकम प्रक्रिया के कारण नतीजों की घोषणा 15 दिसंबर तक होने की संभावना है।
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