मौसम के साथ क्या होगा कोरोना का स्वरूप और Asymptomatic मरीजों पर जानें क्या कहता है WHO
कोरोना वायरस को लेकर अभी काफी कुछ जानना बाकी है। मौसम के साथ इसकी प्रकृति में बदलाव और इसके लक्षण दिखाई न देने वाले मरीज से इसका प्रसार जैसे सवालों के जवाब अब भी नहीं मिला है।
न्यूयॉर्क। कोरोना वायरस छह माह बाद भी पूरी दुनिया में कहर मचाए हुए है। कुछ देशों में इसकी रफ्तार धीमी जरूर हुई है लेकिन खतरा टला नहीं है। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन लगातार इस बारे में हो रहे शोध पर नजर गड़ाए हुए है जिनसे ये पता चल सकेगा कि कोविड-19 से संक्रमित जिन मरीजों में कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं, उनसे ये संक्रमण अन्य लोगों में कैसे फैल सकता है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टैड्रोस ऐडहेनॉम गैबरेसस के मुताबिक फरवरी से ही संगठन की तरफ से इस बात को कहा जा रहा है कि जिन मरीजों में इस वायरस के लक्षण नहीं दिखाई देते हैं उनसे भी ये संक्रमण फैल सकता है। लेकिन इस बारे में अभी और ज्यादा रिसर्च किए जाने की जरूरत है कि ये संक्रमण किस हद तक फैल सकता है। डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने खुद एक प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से इसकी जानकारी सार्वजनिक की है। उनका ये भी कहना है कि कोरोना वायरस के बारे में अभी बहुत कुछ सीखा जाना बाकी है।
मरीज का पता लगाना, आइसोलेशन, टेस्ट और इलाज
डब्ल्यूएचओ चीफ का कहना है कि इसको लेकर पूरी दुनिया में शोध हो रहे हैं। इसके बावजूद अब तक इस वायरस के बारे में जो कुछ जानकारी हाथ लग सकी है उसके मुताबिक इसके लक्षण दिखाई देने वाले मरीजों का पता लगाने और उन्हें आइसोलेट करने के साथ-साथ उनका टेस्ट और फिर इलाज ही इससे बचने का एकमात्र उपाय है। इसके अलावा ये भी पता लगाना बेहद जरूरी है कि मरीज अपने इलाज से पहले किन-किन लोगों के संपर्क में आया है। संक्रमण को रोकने का फिलहाल इससे प्रभावशाली तरीका दूसरा नहीं है। उनके मुताबिक कई सारे देशों ने इसी आधार पर काम करके अपने यहां पर संक्रमण की रफ्तार को सफलतापूर्वक कम किया है।
नए सबक सीखते जा रहे
डब्ल्यूएचओ प्रमुख टैड्रोस ने इस बात पर सबसे अधिक जोर दिया है कि हम जैसे-जैसे आगे बढ़ रहे हैं, नए सबक सीखते जा रहे हैं। बीते छह माह के दौरान दुनिया को ठप करने वाले जानलेवा वायरस के बारे में हमनें बहुत कुछ सीखा है, लेकिन अब भी बहुत कुछ ऐसा है जो हमें अभी मालूम नहीं है। उनके मुताबिक एक नए वायरस के बारे में उसकी जटिलता की जानकारी देना हमेशा बेहद मुश्किल काम होता है। लेकिन हम इससे काफी कुछ सीखकर और बेहतर कर सकते हैं।
बदलते मौसम पर क्या होगा वायरस का असर
डब्ल्यूएचओ के ही इमरजेंसी प्रोग्राम के प्रमुख डॉक्टर माइकल रयान ने बदलते मौसम के साथ इस वायरस की प्रकृति के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि आमतौर पर सर्दी के मौसम में फ्लू फैलता है। लेकिन स्वास्थ्यकर्मी अभी तक इस बारे में आश्वस्त नहीं हैं कि ये वायरस ऐसी परिस्थिति में किस तरह का बर्ताव करेगा। उनके मुताबिक इसको लेकर अब तक कोई ठोस आंकड़े सामने नहीं आ सके हैं। फिलहाल ये भी कहना मुश्किल है कि ये वायरस बढ़ते तापमान के साथ कैसे बर्ताव करेगा। उन्होंने ये भी साफ कर दिया है कि भविष्य में भी इस वायरस के बारे में कुछ कहपाना फिलहाल मुमकिन नहीं है।
देश की कई लैब एक ही नेटवर्क से जुड़ीं
डॉक्टर मारिया वैन करखोव की मानें तो लगातार हो रहे शोध से जो बातें सामने आ रही हैं उनसे लगातार इस वायरस की जानकारी बढ़ रही है। सभी देश एक दूसरे को इसकी जानकारी साझा भी कर रहे हैं। इस नैटवर्क में दुनिया भर की लैब जुड़ी हुई हैं। 90 से अधिक देश अपनी मौजूदा इंफ्लूएंजा प्रणालियों को कोविड-19 के बारे में टेस्टिंग करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। मौजूदा प्रणालियां इस बारे में सहायक साबित हो सकती हैं और इनसे ये जाना जा सकता है कि ये वायरस समुदायों के भीतर कहांं अपनी पहुंंच बना चुका है। उन्होंने इस बारे में चिंता जताई है कि कुछ देशों में फ्लू की टेस्टिंग अपेक्षाकृत कम हो रही है, जबकि इन्हें लगातार किए जाने की जरूरत है।
लक्षण न नजर आने वाले मरीज
आपको बता दें कि 9 जून को विश्व स्वास्थ्य संगठन की वरिष्ठ वैज्ञानिक और कोविड-19 पर चीफ टेक्नीकल ऑफिसर डॉक्टर मारिया वैन करखोव ने एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा था कि जिन लोगों में लक्षण नजर नहीं आते हैं, उनसे संक्रमण फैलने की बहुत कम संभावना है। हालांकि उन्होंने ये साफ कर दिया था कि उनका ये बयान इसको लेकर हो रहे शोध के प्रारंभिक नतीजों पर आधारित है।
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