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उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ महापर्व छठ संपन्न

कोलकाता तथा उसके आसपास हिंदी भाषी बहुल इलाकों में आज सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ महापर्व छठ संपन्न हो गया।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 27 Oct 2017 01:24 PM (IST)Updated: Fri, 27 Oct 2017 01:24 PM (IST)
उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ महापर्व छठ संपन्न

कोलकाता, [जेएनएन]। कोलकाता तथा उसके आसपास के जिलों उत्तर 24 परगना, हावड़ा तथा हुगली आदि में  हिंदीभाषी बहुल इलाकों में आज सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ महापर्व छठ संपन्न हो गया। सुबह गंगा घाटों तथा तालाबों के आसपास बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने अर्घ्य देकर इस महापर्व में हिस्सा लिया।हिंदीभाषी इलाकों में सुबह से ही गजब का उत्साह देखने को मिला तथा गंगा घाट मिनी बिहार में तब्दील हो गए थे।

उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही तीन दिवसीय छठ पर्व शुक्रवार की सुबह संपन्न हो गया। इससे पहले छठ पूजा के दूसरे दिन उगते सूरज को अर्घ्य देने के लिए घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए गुरुवार की शाम से ही घाटों पर श्रद्धालु जमे रहे। कोलकाता, बिहार-झारखंड, दिल्ली-एनसीआर, मुंबई सहित पूरे देश में घाट पर छठ पूजा के तीसरे दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। व्रती घाट पर अपने परिवार के साथ पहुंचे और पूजा अर्चना की। यह पर्व मंगलवार को नहाए-खाए के साथ शुरू हो चुका है और बुधवार को खरना मनाया गया। गुरुवार को अस्ताचलगामी (डूबते हुए) सूर्य को अर्घ्य दिया गया, जबकि शुक्रवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का समापन हुअा। 

इस त्योहार में श्रद्धालु तीसरे दिन डूबते सूर्य को और चौथे व अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्ध्य देते हैं। पहले दिन को ‘नहाय-खाय’ के रूप में मनाया जाता है जिसमें व्रती लोग स्नान के बाद पारंपरिक पकवान तैयार करते हैं। दूसरे दिन को ‘खरना’ कहा जाता है, जब श्रद्धालु दिन भर उपवास रखते हैं, जो सूर्य अस्त होने के साथ ही समाप्त हो जाता है। उसके बाद वे मिट्टी के बने चूल्हे पर ‘खीर’ और रोटी बनाते है, जिसे बाद में प्रसाद के तौर पर वितरित किया जाता है।

पर्व के तीसरे दिन छठ व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य देते हैं। चौथे व अंतिम दिन को पारन कहा जाता है। इस दिन व्रती सूप में ठेकुआ, सठौरा जैसे कई पारंपरिक पकवानों के साथ ही केला, गन्ना सहित विभिन्न प्रकार के फल रखकर उगते सूर्य को अर्ध्य देते हैं जिसके बाद इस पर्व का समापन हो जाता है। 


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