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कभी यहां थी बंजर भूमि, अब बसा है परिंदों का मनमोहक संसार

उत्तरकाशी के डुंडा ब्लाक की ग्राम पंचायत पटार के पुहेत तोक में देवेंद्र सिंह की पंद्रह साल की मेहनत रंग लाई। उन्होंने बंजर भूमि पर बगीचा पनपाया। अब यहां पक्षिुयों का संसार बसा है।

By BhanuEdited By: Published: Sat, 29 Apr 2017 09:04 AM (IST)Updated: Sun, 30 Apr 2017 05:04 AM (IST)
कभी यहां थी बंजर भूमि, अब बसा है परिंदों का मनमोहक संसार
कभी यहां थी बंजर भूमि, अब बसा है परिंदों का मनमोहक संसार

उत्तरकाशी, [शैलेंद्र गोदियाल]: गंगोत्री राजमार्ग पर उत्तरकाशी से 35 किलोमीटर दूर नालूपानी के पास डुंडा ब्लाक की ग्राम पंचायत पटार के पुहेत तोक की तस्वीर अब पूरी तरह बदल गई है। यहां 15 साल पहले बंजर पड़ी 200 नाली (चार हेक्टेयर) भूमि पर आज फलों का बागीचा लहलहा रहा है। इसमें नौ किस्म के फलों के पेड़ हैं, इसीलिए नवरत्न नाम दिया गया है। 

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बगीचे के पेड़ न सिर्फ फल दे रहे, बल्कि क्षेत्र के पर्यावरण को सहेजने के साथ ही ये परिंदों की 80 से ज्यादा प्रजातियों के साथ ही वन्यजीवों का आशियाना भी हैं। भोजन में उन्हें फल मिल रहे हैं तो बागीचे में जलस्रोतों का संरक्षण भी किया गया है। यह बागीचा खुद नहीं पनपा, बल्कि 49 वर्षीय अधिवक्ता देवेंद्र सिंह नेगी की तपस्या का प्रतिफल है। अब पर्यटन महकमा भी यहां बर्ड वाचिंग सेंटर के साथ ही ध्यान योग केंद्र बनाने की संभावनाएं तलाश रहा है।

नवरत्न बागीचे के अस्तित्व में आने की कहानी भी कम रोचक नहीं है। असल में पटार गांव निवासी अधिवक्ता देवेंद्र सिंह नेगी की पुहेत में पैतृक गोशाला थी। मवेशियों को यहां बरसात में रखा जाता था। यहां आसपास 200 नाली जमीन बंजर थी। 15 साल पहले देवेंद्र ने यहां बागीचा तैयार करने की ठानी। 

सिंचाई के इंतजाम के लिए उन्होंने पास ही पानी के तीन स्रोत तलाशे और प्राकृतिक ढंग से उनका उपचार भी किया। मेहनत रंग लाई और इनमें सालभर पानी रहने लगा। इसके बाद देवेंद्र ने यहां आम, अमरुद, अखरोट, केला, माल्टा, संतरा, कीवी, नींबू व अनार के एक हजार से अधिक पौधे लगाए। ये पौधे आज पेड़ बन खूब फल दे रहे हैं।

माटी से जुड़कर पर्यावरण संरक्षण की यह पहल परिंदों को भी भाने लगी। बागीचे में पौ फटने से लेकर अंधेरा घिरने तक परिंदों का कलरव हर किसी को आनंदित कर देता है। देवेंद्र भी खुश हैं। वह बताते हैं बागीचा 80 से ज्यादा पक्षी प्रजातियों का आशियाना है। फलों का 35 हिस्सा पक्षी खा लेते हैं। 

पक्षी, जिनका आशियाना है नवरत्न 

जंगली मुर्गा, तीतर, प्लम हेडेड पैरेट, स्पॉटेड डव, ग्रीन बी ईटर, कठफोड़ुवा, हिमालयन बुलबुल, रेड वेंटेड बुलबुल, जंगल बॉबलर, पैराडाइज फ्लाइकैचर, वेरिडेटर फ्लाइकैचर, रूफस ट्री पाई, क्रिमसन सनबर्ड, कॉमन किंगफिशर, मैना आदि। 

पक्षी प्रेमियों को किया जाएगा आकर्षित 

जिला पर्यटन अधिकारी उत्तरकाशी केएस नेगी के मुताबिक पर्यावरण संरक्षण की देवेंद्र नेगी की इस पहल से बागीचा एक जंगल के रूप में उभरा है। परिंदों की बहुलता को देखते हुए नवरत्न बागीचा बर्ड वाचिंग का बेहतर केंद्र हो सकता है। यहां की प्राकृतिक छटा को देखते हुए यह स्थली ध्यान-योग केंद्र के लिए भी मुफीद है। प्रयास किए जा रहे हैं कि पक्षी प्रेमियों को यहां आकर्षित किया जाए।

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