...तो इस बार भी नालों की गंदगी पहुंचेगी गंगा में
उत्तरकाशी में तमाम बरसाती नाले कूड़े-कचरे से भरे हैं। अगर नालों से कूड़ा नहीं हटाया गया तो बरसात आते ही यह कूड़ा गंगा में पहुंच कर गंगा को प्रदूषित करेगा।

उत्तरकाशी, [मनोज राणा]: पहाड़ तक मानसून पहुंचने में अब कम ही समय बचा है, लेकिन मानसून से पूर्व स्वच्छता की तैयारियां शून्य हैं। उत्तरकाशी जिला मुख्यालय के निकटवर्ती क्षेत्र में तमाम बरसाती नाले कूड़े-कचरे से भरे हैं। अगर नालों से कूड़ा नहीं हटाया गया तो बरसात आते ही यह कूड़ा गंगा में पहुंच कर गंगा को प्रदूषित करेगा।
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय सहित ज्ञानसू, तेखला, गंगोरी, तिलोथ, लदाड़ी, कोटी, जोशियाड़ा, कंसेण में 15 से अधिक बरसाती नाले हैं। उत्तरकाशी में कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था सही न होने के कारण ये नाले कूड़ेदान बने हुए हैं। वर्ष भर गांव व शहर के लोग इन नालों में कूड़ा करकट डालते हैं। यहां तक कि नगर पालिका भी अपना कूड़ा तेखला नाले में डालती है। बरसात में यह तेखला नाला उफान पर रहता है।
उफान के साथ कूड़ा गंगा में मिल जाता है। इस बार भी ये नाला गंदगी से पटा हुआ है। इसी के साथ अन्य नाले भी कूड़े से भरे हुए हैं। गांव व शहर में स्वच्छता का दावा करने वाले प्रशासन, नगर पालिका, जिला पंचायत की नजर कूड़े से भरे इन नालों पर नहीं है।
सबसे अधिक बुरी हालत विकास भवन के निकट लदाड़ी से आने वाले बरसाती नाले, कंसेण गांव के बरसाती नाले, ज्ञानसू नाले तथा डंपिंग जोन बनाए गए तेखला नाले की है। इन नालों से कूड़ा बीते दिनों हुई हल्की बरसात में ही गंगा की ओर बहने लगा है, लेकिन, गंगा स्वच्छता को लेकर कोई भी अधिकारी व संस्थाएं गंभीर नहीं हैं।
जिला पंचायत के अधिशासी अधिकारी धर्मेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उन्हें पता है कि नालों में कूड़े के ढेर लगे हुए हैं तथा जोशियाड़ा लदाड़ी क्षेत्र में भी कूड़े के ढेर हैं, लेकिन उनके पास कूड़ा डालने के लिए डंपिंग ग्राउंड ही नहीं है। ऐसे में कूड़े को कहां डालें। इस समस्या से उन्होंने सभी अधिकारियों को अवगत कराया है।

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