बेटों ने मुंह मोड़ा, बेटी ने मां को दी मुखाग्नि
उधमसिंह नगर जिले के काशीपुर में एक बेटी ने बेटे का फर्ज निभाया। जब कोई मां की चिता को मुखाग्नि देने नहीं पहुंचा तो बेटी ने आगे आकर मां की चिता को मुखाग्नि दी।
काशीपुर (ऊधमसिंह नगर), [जेएनएन]: परंपराओं में बेटे को बुढ़ापे की लाठी के साथ कुलतारण जैसी उपमाओं से भी नवाजा गया है। लेकिन, यहां एक नहीं, तीन-तीन बेटे होने पर भी जब कोई मां की चिता को मुखाग्नि देने नहीं पहुंचा तो बेटी ने आगे आकर मां की चिता को मुखाग्नि दी। बेटी के इस कदम से श्मशान में मौजूद सभी लोगों की आंखें नम हो गईं।
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले की ठाकुरद्वारा तहसील के गांव लालपुर चौहान निवासी आशा देवी (65 वर्ष) के पति प्रमोद शर्मा का करीब 23 साल पहले निधन हो गया था। उनके तीन बेटे हृदयेश, पंकज, अमित और दो बेटियां अर्चना शर्मा व मीनाक्षी हैं। सभी बच्चों की शादी हो चुकी है। इनमें से अर्चना व मीनाक्षी की शादी मोहल्ला कटरोताल में हुई है। करीब नौ साल पहले आशा के तीनों बेटों ने उन्हें घर से निकाल दिया था।
इसके बाद वह बेटी के घर कटरोताल आ गईं और तबसे यहीं पर रह रही थीं। सोमवार की सुबह करीब सात बजे उनका निधन हो गया। उनके दामाद शिव ओम ने ग्राम लालपुर चौहान के प्रधान के मोबाइल पर संपर्क कर साले को निधन की सूचना देने को कहा।
इसके बाद बहन मीनाक्षी ने सबसे छोटे भाई अमित को मोबाइल पर मां के निधन की सूचना दी तो उसने गाजियाबाद में होने की बात कहकर सुबह दस बजे तक पहुंचने को कहा। लेकिन, दोपहर बाद करीब तीन बजे तक जब कोई भी भाई नहीं पहुंचा तो मीनाक्षी ने खुद मां को मुखाग्नि देने का निर्णय लिया। मीनाक्षी का कहना था पुरुषों के समान महिलाओं को भी सभी कार्य करने का अधिकार है।
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