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सिस्टम ने की उपेक्षा, ग्रामीणों ने पांच माह में बना डाली सड़क

सिस्टम की उपेक्षा के बावजूद भी ग्रामीणों ने हार नहीं मानी और सड़क निर्माण का बीड़ा उठाया। नतीजा यह रहा कि ग्रामीणों ने पांच माह के श्रमदान से छह किलोमीटर लंबी सड़क बना डाली।

By BhanuEdited By: Published: Thu, 16 Nov 2017 10:51 AM (IST)Updated: Thu, 16 Nov 2017 11:06 PM (IST)
सिस्टम ने की उपेक्षा, ग्रामीणों ने पांच माह में बना डाली सड़क

टिहरी, [जेएनएन]: सरकारी उपेक्षा से आहत ग्रामीणों ने समस्या के समाधान का बीड़ा स्वयं उठाया। पांच माह से लगातार श्रमदान करके ग्रामीणों ने छह किलोमीटर लंबी सड़क बना डाली। अभी भी निर्माण चल रहा है। मंजिल के पास आने पर ग्रामीणों ने उत्साह से श्रमदान किया।

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टिहरी जनपद के थौलधार विकासखंड का थौलधार-ठांगधार पैदल मार्ग ऐतिहासिक रूप से गंगोत्री यात्रा का पैदल मार्ग रहा है। यह मार्ग क्षेत्र के एक दर्जन से अधिक गांवों का पैदल मार्ग है। स्थानीय लोग इसी मार्ग से गांव से अपने बागीचों  तक आते जाते हैं। 

लगभग 1980 के दशक से मोटर मार्गों के विस्तारीकरण के साथ इस मार्ग को भुला दिया गया। स्थानीय लोग प्रतिदिन मार्ग का उपयोग करते रहे।  कुछ वर्षों तो ठीक चला, लेकिन विगत पंद्रह वर्षों से मार्ग की हालत जीर्णशीर्ण हो गई। इस कारण मार्ग पर चलना जोखिम भरा बना था। कई बार ग्रामीण इस मार्ग पर चोटिल भी हुए। 

बंडवालगांव के ग्राम प्रधान राजेश भट्ट बताते हैं सरकारी गुहार से थक हार चुके ग्रामीणों ने 11 जून 2017 को श्रमदान शुरू कर मार्ग के जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया। प्रारम्भ के दिन उनके साथ महज सात आठ लोग थे, लेकिन बाद में धीरे-धीरे अन्य ग्रामीण इस कार्य में जुड़ते रहे। 

क्षेत्र के दर्जन भर गांव बंडवालगांव, बरवालगांव, क्यूलागी, बमराड़ी, कंडरी, कोट, उजाड़गांव, बोरगांव, आदि के लोग स्वेच्छा से श्रमदान में आए। लगातार श्रमदान से अब तक छ: किमी लगभग मार्ग का जीर्णोद्धार हो चुका है। ठांगधार मंजिल तक सड़क पहुंचाने में डेढ़ किमी बाकी है। मंजिल के पास पहुंचने पर लोगों में उत्साह है। प्रारम्भ में जो लोग कार्य को असंभव मान दूरी बनाए थे वह भी साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं। यही कारण है कि ग्रामीणों ने श्रमदान कर छह किमी पैदल मार्ग बना डाला।

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