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Tehri News: बारिश न होने से चंबा, मसूरी समेत दर्जनों गांवों में बुआई प्रभावित, किसान मायूस; सेब की फसल को भी नुकसान

चंबा क्षेत्र की बात करे तो सिर्फ 10 फीसद खेती ही ऐसी है जिसे सिंचाई का सहारा है। 90 फीसद खेती पूरी तरह से इंद्रदेव की मेहरबानी पर निर्भर है। इस साल बारिश न होने से सूखे जैसा माहौल बन गया है। बारिश और बर्फबारी नहीं होने के कारण फलपटटी ने सेब के पेड़ो को भी पर्याप्त नमी नहीं मिल पा रही है जिसके कारण...

By Anurag uniyal Edited By: riya.pandey Published: Fri, 05 Jan 2024 04:56 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jan 2024 04:56 PM (IST)
बारिश न होने से चंबा, मसूरी समेत दर्जनों गांवों में बुआई प्रभावित

संवाद सूत्र, चंबा। इंद्रदेव के रूठ जाने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरे गहरा गई है। लंबे समय से बारिश नहीं होने से चंबा मसूरी फलपट्टी, सकलाना, हेवल घाटी सहित दर्जनों गांवों में गेहूं, मसूर की बुआई प्रभावित होने के साथ अब मटर की बुआई पर भी संकट गहरा गया है। वहीं, बर्फबारी न होने के कारण सेब के पेड़ों को भी नमी नहीं मिल पा रही है।

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चंबा मसूरी फलपट्टी, सकलाना सहित दर्जनों गांवों में पिछले तीन महीने से बारिश नहीं होने के कारण खेतो की नमी गायब हो गई है। जिस कारण क्षेत्र के किसान दिसबर माह में गेहू, मसूर आदि फसलों की बुआई नहीं कर पाए है। अब जनवरी का प्रथम सप्ताह मी बीतने को है, लेकिन फिलहाल बारिश के आसार नहीं दिखने के कारण अब मटर की बुआई भी फिलहाल शुरू नहीं हो पाई है।

इंद्रदेव पर निर्भर है 90 फीसद खेती 

चंबा क्षेत्र की बात करे तो सिर्फ 10 फीसद खेती ही ऐसी है, जिसे सिंचाई का सहारा है। 90 फीसद खेती पूरी तरह से इंद्रदेव की मेहरबानी पर निर्भर है। इस साल बारिश न होने से सूखे जैसा माहौल बन गया है। बारिश और बर्फबारी नहीं होने के कारण फलपटटी ने सेब के पेड़ो को भी पर्याप्त नमी नहीं मिल पा रही है, जिसके कारण आने वाले दिनो ने सेब की फसल को भी इससे नुकसान पहुंच सकता है।

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बता दें कि इस साल अक्टूबर माह में 23 5 मिमी बारिश हुई थी जबकि पिछले साल इसी अक्टूबर माह में 13.4 निमी बारिश हुई थी। किसानों ने बताया कि बारिश न होने के कारण पिछले साल सूखे जैसी स्थिति हो गई थी और गेहूं की फस प्रभावित हुई थी। इस साल भी गेहू की फसल पूरी तरह से प्रभावित होती दिख रही है।

रानीचौरी परिसर के मौसम विभाग के तकनीकी अधिकारी प्रकाश नेगी ने बताया कि अलनीनो के प्रभाव के कारण पश्चिमी विक्षोन कमजोर पड़ने के कारण दिसबर का महीना शुष्क रहा।

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