परिवार में नहीं था कोई पुरुष तो पोती ने दी दादी को मुखाग्नि
परिवार में कोई पुरुष न होने पर पोती ने ही बेटे का धर्म निभाया। इस शिक्षिका ने सामाजिक रूढ़ियों को तोड़ते हुए अपनी दादी को मुखाग्नि देकर मिसाल कायम की।
पिथौरागढ़, [जेएनएन]: परिवार में कोई पुरुष न होने पर पोती ने ही बेटे का धर्म निभाया। इस शिक्षिका ने सामाजिक रूढ़ियों को तोड़ते हुए अपनी दादी को मुखाग्नि देकर मिसाल कायम की।
अस्कोट के बड़ीगैर गांव में मात्र एक पानू परिवार निवास करता है। यह परिवार बहार से आकर इस गांव में बसा था। यहां पर रहने वाली माधवी पानू (85 वर्ष) का बीती रात्रि निधन हो गया था।
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माधवी पानु का एकमात्र पुत्र सेना में था और उसका कई साल पहले निधन हो गया था। माधवी पानू ने अपनी पोती विमला पानू का पालन पोषण करते हुए उसे पढ़ाया लिखाया और शिक्षिका बनाया।
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25 वर्षीय विमला पानू इस समय चंपावत जिले के एक स्कूल में एलटी शिक्षिका है। परिवार में कोई पुरुष नहीं होने पर पोती ने ही लड़के का धर्म निभाया और दादी को मुखाग्नी देने की ठानी।
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इस पर जब आज माधवी पानू की शवयात्रा निकली तो विमला भी शव यात्रा में शामिल हुई और दादी को कंधा दिया। इसके बाद उसने जौलजीबी में काली और गोरी नदी के संगम पर लगी चिता को मुखाग्नि दी।
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विमला पानू का कहना है कि सामाज और परंपराओं ने महिला और पुरुष को बराबर का दर्जा दिया है। ऐसे में उसने दादी को मुखाग्नि देकर धर्म का निर्वहन किया। विमला के इस कदम की सभी सराहना कर रहे हैं।
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