गुलदार की दहाड़ से दहशत में हैं ग्रामीण
पौड़ी जनपद के ग्रामीण ही नहीं शहरी क्षेत्रों में विगत एक वर्ष से गुलदार जन की जान का दुश्मन बना हुआ है। एक के बाद एक हो रही घटना से आम जन स्वयं में खासा डरा सा है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो स्थितियां भयावह है।
पौड़ी। पौड़ी जनपद के ग्रामीण ही नहीं शहरी क्षेत्रों में विगत एक वर्ष से गुलदार जन की जान का दुश्मन बना हुआ है। एक के बाद एक हो रही घटना से आम जन स्वयं में खासा डरा सा है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो स्थितियां भयावह है।
इस बीच आदमखोर के नाम पर गुलदार पिंजड़े में कैद भी हुए और ढेर भी, लेकिन खौफ कम नहीं हुआ। ऐसे में यही सवाल सबके जेहन में है कि आखिरकार पौड़ी में आदमखोर गुलदार हैं कितने। कब लोगों को गुलदार के आतंक से निजात मिलेगी। फिलवक्त इसका माकूल जबाव किसी के पास नहीं है।
विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले पौड़ी जनपद में वन्य जीव व मानव के बीच चला आ रहा खूनी संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रहा है। गढ़वाल वन प्रभाग के अधीन वाले रैंज खासकर एकेश्वर, पोखड़ा व पौड़ी प्रखंड काफी संवेदनशील रहे हैं।
एक वर्ष के भीतर अभी तक गुलदार 11 लोगों को अपना निवाला बना चुका है, जबकि दो दर्जन लोग घायल भी हुए। खास बात यह है कि इस दौरान कई बार ऐसे मौके भी आए, जब ग्रामीण क्षेत्रों में गुलदार के खौफ से अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजना ही बंद करा दिया। साथ ही महिलाओं का खेतों में कार्य करना ही दूभर हो गया।
अप्रैल 2014 से अब तक की घटनाएं
गुलदार के हमले में मारे गए-11
गुलदार के हमले में घायल-23
मारे गए गुलदार- 4
पिंजड़े में कैद हुए- 2
मृत मिले- 2
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