समंदर पार गूंजेगी उत्तराखंड के करन की आवाज
माता पिता का साथ लेकर दिन रात कठोर मेहनत करके 15 साल के करन ने ऐसा करिश्मा कर दिखाया कि उनकी आवाज का जादू अब देश ही नहीं विदेशों में भी दिखेगा।
कोटद्वार, पौड़ी गढ़वाल, [अजय खंतवाल]: पालनहार की कठोर तपस्या के साथ ही जब पाल्य की कड़ी मेहनत रंग लाती है तो मिट्टी भी सोना बनकर दुनिया की नजरों में चमक बिखेरने लगती है। मिट्टी से सोना बने एक ऐसे ही किशोर हैं उत्तराखंड निवासी करण रावत, जिन्होंने बगैर किसी सरकारी मदद के न सिर्फ अपने पिता की कठोर तपस्या का मान रखा, बल्कि आज अन्य किशोरों के लिए भी प्रेरणा बन गए हैं। करन की आवाज जल्दी ही दुबई, दोहा, मस्कट और कुवैत में गूंजेगी।
जनपद पौड़ी गढ़वाल में रिखणीखाल क्षेत्र के ग्राम मंजोली (ढ़ाबखाल) निवासी 15 वर्षीय करन रावत ने पिता के सपने को साकार करना ही जीवन का लक्ष्य बनाया है। नतीजा, महज 15 वर्ष की आयु वाले करन को आज गढ़वाल के उन रत्नों के साथ काम करने का मौका मिला है, जिन्हें 'गढ़ रत्न' कहा जाता है।
11वीं कक्षा में अध्ययन करने वाले करन के पिता हरि सिंह काश्तकार हैं और गांव में होने वाली रामलीला के दौरान गीत गाते हैं। पिता को स्टेज पर गीत गाते देख करन ने संगीत की दुनिया में स्वयं के साथ ही पिता का नाम रोशन करने की ठान ली व पिता को गुरू बना संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी।
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यह रही उपलब्धियां
सच्ची लगन व कड़ी मेहनत का ही नतीजा था कि महज आठ वर्ष की उम्र में करन की पहली म्यूजिक एलबम 'समलौण्यां रूमाल' रिलीज हो गई। बगैर किसी सरकारी इमदाद के पिता हरी ङ्क्षसह ने यहां-वहां से कर्ज लेकर बेटे की इस कैसेट को बाजार में उतारा। क्षेत्र में कैसेट काफी लोकप्रिय हुई।
इसके बाद करन के गीतों से सजी वीडियो एलबम 'भैजी क्य ब्वन तब' को बाजार में उतारा गया और यह एलबम भी सफल हुई। करन ने 'द हंस कल्चरल सेंटर' के संस्थापक भोले जी महाराज व माता मंगला पर आधारित एलबम 'ज्ञान रुपी गंगा' भी निकाली। प्रदेश सरकार की ओर से अक्टूबर में 'यूथ आइकॉन अवार्ड' से सम्मानित करन ने छोटी सी उम्र में ही कई उपलब्धियां हासिल कर ली हैं। करन कई जगह बड़े लोक कलाकारों के साथ स्टेज शो भी कर चुके हैं।
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रंग ला रही पिता की मेहनत
रिखणीखाल क्षेत्र के एक छोटे से गांव मंजोली निवासी हरि सिंह की मेहनत रंग ला रही है। उनके बेटे करन को सऊदी देशों में आयोजित होने वाले 'कौथिग 2016' में प्रतिभाग करने का मौका मिल रहा है। करन बताते हैं कि उनके गाए तमाम गीत उनके पिता ने ही लिखे हैं और पिता ही संगीत निर्देशन भी करते हैं। करन ने बताया कि पिता के सपने को पूर्ण करना ही उनका एकमात्र सपना है। पिता हरि सिंह बताते हैं, वह करन को लोगायिकी में चमकते सितारे के रूप में देखना चाहते हैं।
पढ़ाई में भी अव्वल
संगीत की दुनिया में नाम कमाने की कोशिश में जुटा करन पढ़ाई में भी अव्वल है। हाईस्कूल परीक्षा में साठ फीसदी अंक पाने वाले करन वर्तमान में विज्ञान विषय के साथ 11 वीं कक्षा में अध्ययनरत हैं। करन की माता सतेश्वरी देवी गृहिणी हैं और बड़ी बहन इंटरमीडिएट में पढ़ाई कर रही है, जबकि एक बहन का विवाह को चुका है।
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