आपदा प्रभावितों को नौ करोड़ का मुआवजा देगी कंपनी
एनजीटी ने जून 2013 में श्रीनगर में अलकनंदा के उफान से हुए नुकसान के लिए एएचपीसीएल कंपनी को जिम्मेदार ठहराया है। कंपनी श्रीनगर के आपदा प्रभावितों को नौ करोड़ का मुआवजा देगी।
श्रीनगर गढ़वाल, [जेएनएन]: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने जून 2013 में श्रीनगर में अलकनंदा के उफान से हुए नुकसान के लिए श्रीनगर जलविद्युत परियोजना की कार्यदायी संस्था अलकनंदा हाइड्रो पावर कारपोरेशन लिमिटेड (एएचपीसीएल) को जिम्मेदार ठहराया है। एनजीटी ने कंपनी को आदेश दिया है कि वह श्रीनगर के 86 आपदा प्रभावितों को नौ करोड़ 26 लाख 42 हजार 795 रुपये का मुआवजा प्रदान करे। यही नहीं, प्रत्येक वादी को एक-एक लाख रुपये भी कंपनी अदा करेगी। मुआवजे की राशि का वितरण 30 दिन के भीतर करने को कहा गया है। यह सुनिश्चित कराने के लिए पौड़ी के डीएम को निर्देशित किया गया है। यही नहीं, वे दावों को भी सत्यापित करेंगे और फिर 90 दिन बाद एनजीटी को अवगत कराएंगे कि अब कोई दावा शेष नहीं है।
जून 2013 को आई आपदा से श्रीनगर में बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ। भक्तियाना (श्रीनगर) निवासी प्रेमबल्लभ काला ने माटू संगठन के सहयोग से आपदा प्रभावितों की ओर से इस मामले में श्रीनगर जलविद्युत परियोजना की कार्यदायी संस्था के खिलाफ एनजीटी में वाद दायर किया। उन्होंने कहा कि कार्यदायी संस्था एएचपीसीएल ने परियोजना के निर्माण का मिट्टी मलबा नदी किनारे ही रखा, जो भारी तबाही का कारण बना। उन्होंने कहा कि श्रीनगर में आपदा प्राकृतिक नहीं वरन मानवीय थी, जिसके लिए कार्यदायी संस्था पूरी तरह से जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने भी प्रभावितों की सहायता नहीं की।
18 बार की सुनवाई के बाद एनजीटी 19 अगस्त को इस मामले में फैसला सुनाया। श्रीनगर बांध आपदा संघर्ष समिति और माटू जन संगठन की ओर से यहां पालिका सभागार मे आयोजित पत्रकार वार्ता प्रेमबल्लभ काला और विमल भाई ने एनजीटी के आदेशों के बारे में जानकारी दी। फैसले की प्रति दिखाते हुए उन्होंने बताया कि एनजीटी ने कार्यदायी संस्था एएचपीसीएल को नौ करोड़ 26 लाख 42 हजार 795 रुपये का मुआवजा श्रीनगर के आपदा प्रभावितों को देने का आदेश दिया है। कंपनी प्रत्येक वादी को एक-एक लाख रुपये भी देगी।
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माटू जन संगठन के विमल भाई ने एनजीटी के फैसले को नजीर बताया। कहा कि बांध निर्माण से प्रभावितों को उनका हक मिलने के द्वार भी इस निर्णय से खुले हैं। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को प्रदेश के मुख्य सचिव और जिलाधिकारी पौड़ी को भी एनजीटी के आदेशों की प्रतियां भी दी जाएंगी। उन्होंने मांग की कि एनजीटी के निर्णय के बाद सरकार को कंपनी के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया भी शुरू करनी चाहिए। साथ ही पौड़ी के जिलाधिकारी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मुआवजा वितरण की प्रक्रिया बिना भ्रष्टाचार के पूरी हो। उन्होंने कहा कि एनजीटी में उत्तराखंड सरकार के वकील ने भी कंपनी का ही पक्ष लिया जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
श्रीनगर बांध आपदा संघर्ष समिति की वरिष्ठ सदस्य एवं पालिका सभासद विजयलक्ष्मी रतूड़ी ने कहा कि एनजीटी ने प्रभावितों की पीड़ा को महसूस किया। उन्होंने बताया कि इनिसिएटिव फॉर फॉरेस्ट एंड इनवायरमेंट के रितिक दत्ता और एडवोकेट राहुल चौधरी के साथ ही वरिष्ठ स्तंभकार डॉ.भरत झुनझुनवाला का इस लड़ाई में सहयोग रहा। इस मौके पर जगदंबा रतूड़ी, चंद्रमोहन भट्ट, निर्मला नौटियाल आदि मौजूद थे।
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