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गलत मूल्यांकन से छात्रा नहीं बन पाई टॉपर, आरटीआई से हुआ खुलासा

हल्‍द्वानी में राजकीय महिला डिग्री कॉलेज की छात्रा का आरोप है कि उत्‍तरपुस्तिकाओं के गलत मूल्‍यांकन से टॉपर बनने से रह गई। छात्रा का यह दावा आरटीआई के खुलासे के बाद किया गया है।

By gaurav kalaEdited By: Published: Sat, 06 Aug 2016 02:51 PM (IST)Updated: Sun, 07 Aug 2016 07:00 AM (IST)

हल्द्वानी, [जेएनएन]: राजकीय महिला डिग्री कालेज की बीकॉम तृतीय वर्ष की छात्रा उदिक्षा सिंह चौधरी परेशान है। वह कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल की मूल्यांकन प्रक्रिया पर सवाल उठा रही हैं। उदिक्षा ने बताया कि बीकॉम प्रथम वर्ष में 65 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। द्वितीय वर्ष में ग्रुप थर्ड के 50 नंबर के द्वितीय प्रश्न पत्र में केवल 28 अंक देखकर निराश हो गई।
सूचना के अधिकार के तहत जब उत्तर पुस्तिका ली तो मूल्यांकन प्रक्रिया की हकीकत देखकर चौंक गई। उत्तर पुस्तिका में कहीं भी करेक्शन नहीं किया गया था। इसके बावजूद 10 नंबर के अंक में केवल चार अंक दिए गए हैं। गलत मूल्यांकन की वजह से वह कालेज में टॉपर बनने से रह गई।

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...क्या देखकर दिए जाते हैं अंक
उदिक्षा ने मूल्यांकन प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि किस आधार पर मूल्यांकन किया गया। क्या पेज नंबर के आधार पर अंक दिए जाते हैं या फिर कंटेंट बेस पर। यही समझ में नहीं आ रहा है। इसके अलावा एमकॉम प्रथम सेमेस्टर की छात्राओं ने भी गलत मूल्यांकन की शिकायत दर्ज की है।

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हालांकि इस मामले पर कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एचएस धामी स्पष्ट करते हैं कि मूल्यांकन प्रक्रिया ठीक है। अगर बिल्कुल भी अंक नहीं दिए गए हैं, तो पुनर्मूल्यांकन किया जाता है। इस प्रकरण को देखा जाएगा।

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