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वेलेंटाइन डे पर 70 साल की महिला ने रचाई अनोखी शादी, पढ़ें खबर

70 साल की कुंवारी महिला के साथ ईश्वर से ताउम्र नाइंसाफी की। बचपन में ही आंखों की रोशनी छीन ली। लिहाजा विवाह नहीं हो पाया, लेकिन महिला की इच्छा थी कि वह सुहागन मरे।

By sunil negiEdited By: Published: Mon, 15 Feb 2016 10:15 AM (IST)Updated: Tue, 16 Feb 2016 08:46 PM (IST)

प्रदीप रावत, हल्द्वानी। 70 साल की कुंवारी महिला के साथ ईश्वर से ताउम्र नाइंसाफी की। बचपन में ही आंखों की रोशनी छीन ली। लिहाजा विवाह नहीं हो पाया, लेकिन महिला की इच्छा थी कि वह सुहागन मरे। उम्र के इस पड़ाव पर घरवालों ने इच्छा पूरी करने की ठानी। भगवान विष्णु के प्रतीक तांबे के कलश के साथ पूरे वैदिक रीति-रिवाज से उनका विवाह कराया गया। धूमधाम ऐसा कि आस-पास के कई गांवों के लोग और रिश्तेदार घराती-बराती बने। ढोल नगाड़े बजे और विधिवत भोज भी कराया गया।

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ऊधमसिंह नगर के छतरपुर गांव में 70 वर्ष की दृष्टिहीन कलावती ने पिछले दिनों घर वालों से कहा कि जीवन भर पूजा-पाठ करने के बाद भी उन्हें स्वर्ग न मिला तो क्या होगा। पर्वतीय अंचल में मान्यता है कि सुहागन मौत आने पर स्वर्ग के द्वार खुलते हैं।

कलावती के मन की इस हिचक को पूरी करने की योजना बनी। मुहूर्त निकला 14 फरवरी का। इस अनोखी शादी में गांव के सभी लोगों ने भोजन किया। हिंदू रीति-रिवाज के तहत कन्यादान भी किया गया। गांव में सुबह मंगलगीत गाए गए। मंगल स्नान और पूजा की गई।

घर की महिलाओं और रिश्तेदारों ने बाने दिए। गांव में खुशी का माहौल था। इस शादी को देखने के लिए गांव और वहां से गुजरने वाला हर कोई आतुर था। पंडित गंणेश पंत ने वैदिक मंत्रोचार के साथ कलश से कलावती के सात फेरे कराए। यह पल इतना भावुक था कि स्वयं कलावती भी फूट-फूट कर रोने लगीं।

माता-पिता और बाद में भाइयों ने उन्हें पाला। माता-पिता और दो भाइयों की मौत के बाद से ही कलावती दुखी रहने लगी। कलावती अपने परिवार में सबसे बड़ी हैं। इसलिए उनका कन्यादान रिश्तेदार फकीर दत्त और उनकी पत्नि ने किया। विवाह में कलावती की छोटी बहनें लक्ष्मी देवी, कमला देवी शामिल हुई। इसके अलावा मोहिनी, सावित्री, नंदी और इनके बच्चे शामिल हुए।
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