कॉर्बेट की वेबसाइट फिर सुर्खियों में
संवाद सहयोगी, रामनगर : यह बात दीगर है कि अब कॉर्बेट पार्क का सीजन लगभग समाप्ति पर है लेकिन पार्क भ्
संवाद सहयोगी, रामनगर : यह बात दीगर है कि अब कॉर्बेट पार्क का सीजन लगभग समाप्ति पर है लेकिन पार्क भ्रमण के अंतिम दिनों में पार्क की वेबसाइट एकबार फिर से सवालों के घेरे में आ गई है। चर्चाएं हैं कि दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में बैठे हैकर्स कॉर्बेट की वेबसाइट को हैक कर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। हालांकि कार्बेट प्रशासन ने इस बात को सिरे नकारते हुए कहा कि इस प्रकार की अफवाहों से पार्क की छवि धूमिल होती है।
बताते चलें कि पूर्व में कॉर्बेट पार्क में आने वाले पर्यटकों के डे विजिट एवं रात्रि विश्राम के लिए कक्षों के आरक्षण की व्यवस्था यहीं से होती थी। तब भी गाहे बगाहे स्वागती कक्ष में तैनात कर्मचारियों पर अपने लोगों को पार्क का परमिट दिए जाने के आरोप लगते रहे। पर्यटकों के रिजर्वेशन में पारदर्शिता लाने के मकसद से पार्क प्रशासन द्वारा 2011 में डे विजिट तथा 2013 में रात्रि विश्राम की आरक्षण व्यवस्था ऑन लाइन कर दी गई। जबसे पार्क की वेबसाइट बनी तभी से कभी होटल कारोबारी तो कभी पर्यटक इस वेबसाइट पर अंगुलियां उठाते रहे।
अब पार्क में आने वाले पर्यटकों को लेकर बनी वेबसाइट फिर चर्चा में है। 15 जून से पार्क में रात्रि विश्राम और 30 जून से डे विजिट बंद हो जाने के साथ पार्क के ढिकाला, बिजरानी, दुर्गा देवी पर्यटन जोन छह माह के लिए बंद हो जाएंगे। नई व्यवस्था के तहत कॉर्बेट प्रशासन द्वारा एक जून से पंद्रह जून तक रात्रि विश्राम के लिए दो दिन पहले ऑन लाइन आरक्षण की व्यवस्था को अंजाम दिया जा रहा है।
पर्यटन व्यवसाय से जुडे़ लोगों का कहना है कि कॉर्बेट की वेबसाइट को मुंबई व दिल्ली में बैठे कारोबारी हैक कर यहां के पर्यटन व्यवसाय को नुकसान पहुंचा रहे हैं। आरोप है कि कॉर्बेट की साइट ठीक दस बजे खुलती है, लेकिन रात्रि विश्राम के लिए जब तक यहां के लोग ऑन लाइन फार्म भरते हैं तब तक चंद मिनटों के भीतर ही सारे कमरे पैक हो जा रहे हैं। लोगों ने आशंका जताई है कि वेबसाइट को हैक कर हैकर्स मोटा मुनाफा तो कमा ही रहे हैं और स्थानीय पर्यटन व्यवसाय को नुकसान पहुंच रहे हैं।
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इस तरह की चर्चाएं निराधार हैं। इस प्रकार के अनर्गल आरोप लगाने से पार्क की छवि घूमिल होती है। पार्क की वेबसाइट को एनआइसी दिल्ली ने बनाया है। बकायदा सिक्योरिटी एजेंसी द्वारा आडिट होता है। यदि किसी के पास प्रमाण है तो सामने लाए अवश्य कार्रवाई की जाएगी।
-साकेत बडोला, उपनिदेशक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व