इस मंदिर में बेल पत्र अर्पित करने से खुश हो जाते हैं शिव
हरिद्वार स्थित बिल्वकेश्वर महादेव मंदिर पर भगवान शंकर बेल पत्र चढ़ाने से ही प्रसन्न हो जाते हैं। श्रावण मास में यहां दूर-दराज से कांवड़िये पहुंचकर गौरीकुंड में स्नान करते हैं।
हरिद्वार, [जेएनएन]: हरिद्वार स्थित बिल्वकेश्वर महादेव मंदिर पर भगवान शंकर मात्र बेल पत्र चढ़ाने से ही प्रसन्न हो जाते हैं। श्रावण मास में यहां दूर-दराज से कांवड़िये पहुंचते हैं और गौरीकुंड में स्नान कर पुण्य अर्जित करते हैं।
बिल्वकेश्वर महादेव मंदिर का वर्णन स्कंद पुराण के केदारखंड में किया है। माता पार्वती ने तीन हजार वर्ष तक यहां तपस्या की थी। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने यहां साखा के रूप में दर्शन देकर माता पार्वती को विवाह का वरदान दिया था। तभी से यह स्थल बिल्वकेश्वर नाम से प्रसिद्ध है।
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मंदिर के पुजारी महंत शीतलबंध ने बताया कि बिल्वकेश्वर महादेव मंदिर अतिपवित्र, पापनाशक, सकल कामनादायक, पुत्रप्रद व धनप्रद स्थल है। मंदिर को बिल्व तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है। बिल्व तीर्थ (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) रूप में फल देने वाला स्थल है।
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मंदिर के पूर्व भाग से निरंतर जल की धारा बहती रहती है। जल के स्मरण मात्र से गंगा स्नान का फल मिलता है। यहां वर्तमान में नीम के वृक्ष के नीचे भगवान बिल्वकेश्वर का शिवङ्क्षलग स्थापित है।
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शिवलिंग के दक्षिण भाग में मणि से भूषित मस्तक वाला अश्वतर नाम का महानाग है। उन्होंने बताया कि शिवरात्रि व सावन माह में यहां भगवान शंकर का रूद्राभिषेक व अनुष्ठान किया जाता हैं।
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सावन में दर्शन को पहुंचते हैं कांवड़िये
सावन में यहां भगवान बिल्वकेश्वर के दर्शन करने पहुंचते हैं। मंदिर प्रबंध समिति की ओर से यहां कांवड़ियों के लिए नि:शुल्क रहने, खाने का प्रबंध किया है। प्रतिदिन सैकड़ों कांवड़िये भगवान बिल्वकेश्वर के दर्शन कर यहां स्थित गौरीकुंड में स्नान कर पुण्य अर्जित करते हैं।
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