हरिद्वार में पर्यावरण सरंक्षण एक्ट लागू, गंगा से पांच किलोमीटर दूर होंगे क्रशर
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने हरिद्वार में पर्यावरण सरंक्षण एक्ट लागू कर दिया है। इसके तहत गंगा से स्टोन क्रशर पांच किलोमीटर दूर होंगे।
हरिद्वार, [जेएनएन]: अवैध खनन के खिलाफ तपस्यारत मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने बुधवार को तप समाप्त कर अन्न ग्रहण कर लिया। उन्होंने जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन से मिले पत्र के हवाला से बताया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने हरिद्वार में पर्यावरण सरंक्षण एक्ट लागू कर दिया है। इसके तहत गंगा से स्टोन क्रशर पांच किलोमीटर दूर होंगे।
पांच नवंबर से स्वामी शिवानंद सरस्वती के शिष्य आत्मबोधानंद ने अन्न त्यागकर तप शुरू किया था। इस दौरान प्रशासन ने स्वामी शिवानंद सरस्वती से वार्ता की, लेकिन शिवानंद ने खनन बंद होने पर ही शिष्य का तप समाप्त करने की बात कही थी। 22 नवंबर को उन्होंने 225 पन्नों का पत्र राष्ट्रपति, पीएम, चीफ जस्टिस आफ इंडिया, राज्यपाल आदि को भेजकर खनन न रुकने की स्थिति में इच्छामृत्यु की मांग की थी।
इस बीच कोई जवाब न मिलने पर 27 नवंबर को उन्होंने आत्मबोधानंद का तप खुद समाप्त कराया और इसी दिन से खुद अन्न त्याग कर तपस्या शुरू कर दी। उन्होंने दो दिसंबर की मध्यरात्रि से जल भी त्याग दिया था। 4 दिसंबर को एडीएम अभिषेक त्रिपाठी व एसपी देहात के नेतृत्व में टीम ने जबरन आश्रम में प्रवेश किया। नोकझोंक व वार्ता के बाद 48 घंटे का समय कार्रवाई के लिए शिवानंद ने दिया था। इसके बाद ही जल ग्रहण किया। सात दिसंबर की सुबह दस बजे यह समयावधि पूरी हो रही थी।
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इससे पहले ही मंगलवार की रात्रि जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा सरंक्षण मंत्रालय राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के अपर सचिव यूपी सिंह के आदेश की कापी आश्रम को मिली। बकौल, स्वामी शिवानंद आदेश में सचिव ने खनन की गतिविधियों एवं अवैध स्टोन क्रशिंग को बंद करने के आदेश सीपीसीबी को दिए हैं। बताया कि सीपीसीबी के चेयरमैन एसपीएस परिहार को पत्र लिखकर बताया है कि एनजीटी व हाईकोर्ट का आदेश है कि गंगा से पांच किलोमीटर की दूरी पर ही स्टोन क्रशर होंगे, लेकिन जरुरी कार्रवाई नहीं की गई है।
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ऐसे में आदेश का अनुपालन किया जाना चाहिए। बताया कि श्यामपुर से भोगपुर क्षेत्र तक करीब पचास स्टोन क्रशर हैं, जिन्हें हटाया जाना है। खनन रोकने के लिए हरिद्वार में पर्यावरण संरक्षण एक्ट 1986 की उपाधारा 5 लागू की गई है। इसके तहत डीएम व एसएसपी को तत्काल आदेश का अनुपालन कराना होगा। आदेश नहीं मानने पर अधिकारियों पर एक लाख जुर्माना व पांच साल जेल का प्रावधान है। बताया कि अगर अब भी कार्रवाई नहीं हुई तो वह कोर्ट की शरण लेंगे।
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