उच्च शिक्षण संस्थानों की ग्रांट में रहेगी यूजीसी की नजर
उच्च शिक्षण संस्थान अब यूजीसी से मिलने वाली ग्रांट में अब यूजीसी की सीधी नजर रहेगी। किसी भी तरह की गड़बड़ी पाए जाने पर संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
देहरादून, [जेएनएन]: उच्च शिक्षण संस्थान अब यूजीसी से मिलने वाली ग्रांट में झोल नहीं कर सकेंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) अब ग्रांट और उससे होने वाले कार्यों पर सीधे नजर रखेगा। जीआइएस तकनीक की मदद से एक क्लिक पर संबंधित संस्थान के निर्माण कार्य व अन्य गतिविधियों की जानकारी से आयोग अपडेट रहेगा। किसी भी तरह की गड़बड़ी पाए जाने पर संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
उच्च शिक्षण संस्थानों को विभिन्न मदों में यूजीसी से ग्रांट मिलती है। यह ग्रांट उन्हें ग्रेडिंग के आधार पर प्राप्त होती है। लेकिन कई बार इस रकम के इस्तेमाल में गड़बड़ी की भी शिकायतें सामने आई हैं। निर्माण कार्य या फिर किसी अन्य मद में मिलने वाली रकम में कई तरह के झोल होते हैं।
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इस पर अब यूजीसी निगाह रखेगा। नई व्यवस्था के जरिये आयोग एक क्लिक पर संबंधित संस्थानों में ग्रांट के उपयोग की जानकारी जुटा सकेगा।
दरअसल इन गड़बडिय़ों और फर्जीवाड़ों पर लगाम लगाम लगाने के लिए यूजीसी हाईटेक सिस्टम अपना रहा है। इसके लिए जियोग्राफिकल इंफॉर्मेशन सिस्टम (जीआइएस) की मदद ली जाएगी।
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यूजीसी दो तरह से संस्थानों की मॉनीटरिंग करने का काम करेगी। पहले कॉलेजों व विश्वविद्यालयों को ऑनलाइन किया जाएगा। जिसके तहत पोर्टल पर तमाम जानकारी अपलोड की जाएगी। यदि अनुदान राशि का उपयोग किसी निर्माण या अन्य चीजों में किया जा रहा है तो एप पर तत्काल फोटो अपलोड करना होगा।
जीआइएस के जरिये संस्थानों के निर्माण कार्यों पर नजर रखी जाएगी। जिससे कमीशन किसी भी वक्त संस्थानों की ओर से प्रदान की गई जानकारी को डिजिटल मैप के जरिये क्रॉस चेक कर सकेगी।
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विशेषज्ञों की माने तो इस व्यवस्था से संस्थानों द्वारा किए जाने वाले खेल संभव नहीं होंगे। इसके अलावा जानकारी सार्वजनिक होने से शिकायतों पर कार्रवाई कर पाना भी आसान होगा।
दून विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वीके जैन के मुताबिक यूजीसी का मकसद उच्च शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता लाना है। यही कारण है कि बीते कुछ समय में कई ऐसी योजनाएं चलाई गई हैं जो संस्थानों को बेहतर बनाने का कार्य करें।