उत्तराखंड में तेंदुए को आबादी से दूर रखेगा सुंदरवन का मॉडल
सुंदरवन के गांव भी तेंदुए के खौफ से त्रस्त थे। वहां वन सीमा पर नायलॉन की रस्सी के जाल की बाड़ की गई, जिससे तेंदुए के हमलों में कमी आई। यही तरीका उत्तराखंड में भी अपनाया जा रहा है।
By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 26 Mar 2017 10:23 AM (IST)Updated: Mon, 27 Mar 2017 05:01 AM (IST)
देहरादून, [केदार दत्त]: भारत और बांग्लादेश के मध्य स्थित विश्व के सबसे बड़े नदी डेल्टा सुंदरवन की सीख अब उत्तराखंड के काम आएगी। बंगाल टाइगर और गुलदारों (तेंदुए) को आबादी की तरफ आने से रोकने के लिए वहां वन सीमा पर की गई नायलॉन की रस्सी की बाड़ के सार्थक नतीजे सामने आने पर इसे मानव-वन्यजीव संघर्ष से जूझ रहे उत्तराखंड में भी धरातल पर उतारने की तैयारी है।
वन महकमे ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत पौड़ी और चमोली जनपदों के दो गांवों में यह प्रयोग करने का निश्चय किया है। इसके सफल रहने राज्य के उन हिस्सों में भी इसे अमल में लाया जाएगा, जहां गुलदार व बाघ लोगों के लिए मुसीबत का सबब बने हुए हैं।
71.05 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष के मामले में हालात सुंदरवन जैसे तो नहीं, मगर इससे कमतर भी नहीं। उत्तराखंड बनने से लेकर अब तक के कालखंड पर नजर दौड़ाएं तो वन्यजीवों के हमलों में 615 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 3110 घायल हुए हैं।
जंगली जानवरों के हमलों में भी 80 फीसद से ज्यादा घटनाएं गुलदार की हैं। आलम ये है कि गुलदार कब कहां धमककर जान के खतरे का सबब बन जाए कहा नहीं जा सकता। यही नहीं, लगातार गहराते इस संघर्ष में गुलदारों को भी जान गंवानी पड़ रही है।
इसे देखते हुए गुलदार को आबादी की तरफ आने से रोकने के लिए महकमा अब गहनता से पहल कर रहा है। प्रमुख मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव डीवीएस खाती बताते हैं कि सुंदरवन के गांव भी गुलदार व बाघ के खौफ से त्रस्त थे। वहां वन सीमा पर नायलॉन की रस्सी के जाल की बाड़ की गई, जिससे गुलदार व बाघ के हमलों में कमी आई। अब यही तरीका उत्तराखंड में भी अपनाया जा रहा है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत पौड़ी व चमोली जनपदों के सर्वाधिक गुलदार प्रभावित एक-एक गांव को लेकर वन सीमा पर सुंदरवन की तरह बाड़ की जाएगी। इसके लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया गया है।
उत्तराखंड में गुलदारों की मौत
(2001 से जनवरी 2017 तक)
529 प्राकृतिक
99 दुर्घटना
98 आपसी संघर्ष
75 कारण अज्ञात
45 नरभक्षी
38 सड़क दुर्घटना
37 शिकार
20 फंदे में फंसकर
13 आत्मरक्षा
06 ट्रेन की चपेट
04 करंट
01 आग
01 जहर
01 भोजन विषाक्तता
967 कुल मृत गुलदार
443 मादा
471 नर
53 अज्ञात
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