जैन समुदाय ने निकाली मौन रैली
सलेलखन और संथारा परंपरा को बचाए रखने के लिए भारत बंद आह्वान के तहत देहरादून में जैन समाज के लोगों ने सभी प्रतिष्ठान बंद रखे। साथ ही देहरादून में मौन रैली निकालकर जिला प्रशासन के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा।
देहरादून। सलेलखन और संथारा परंपरा को बचाए रखने के लिए भारत बंद आह्वान के तहत देहरादून में जैन समाज के लोगों ने सभी प्रतिष्ठान बंद रखे। साथ ही देहरादून में मौन रैली निकालकर जिला प्रशासन के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा।
जैन समुदाय के लोगों ने जैन धर्मशाला से मौन रैली शुरू की। घंटाघर होते हुए यह रैली जिलाधिकारी कार्यालय पहुंची। वहां डीएम रविनाथ रमन के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया। रैली का नेतृत्व झुल्लक समर्पण सागर महाराज ने किया।
विकासनगर में जैन समाज के लोगों ने विकासनगर में मौन जुलूस निकाल कर तहसील में एसडीएम के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा। जैनियों का मानना है कि संथारा प्रथा उनके धर्म का अभिन्न अंग है। इस प्रथा के तहत जैन संप्रदाय के लोग अपनी मृत्यु का आभास होते ही अन्न जल त्याग देते है। मौन जुलूस में राजकुमार जैन, संजय जैन, विपुल जैन, संदीप जैन आदि शामिल थे।
ऋषिकेश में दिया धरना
ऋषिकेश में जैन संप्रदाय के लोगों ने हरिद्वार मार्ग स्थित पंचायती मंदिर के बहार मौन धरना दिया। आंदोलन को ऋषिकेश की अन्य धार्मिक, सामाजिक, व्यापारिक और राजनैतिक संस्थाओं ने समर्थन दिया। समाज ने इस संबंध में राष्ट्रपति को ज्ञापन भी प्रेषित किया। इस दौरान जैन समाज के अध्यक्ष कमल कुमार जैन, मंत्री सचिन जैन, रमेश चंद्र जैन, महेंद्र कुमार जैन आदि उपस्थित थे।
बंद रखे प्रतिष्ठान
हल्द्वानी में जैन समाज ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखे। साथ ही एसडीएम कोर्ट तक मौन जुलूस निकाला। उन्होंने कहा कि सलेलखन और संथारा समाज की वर्षों पुरानी धार्मिक परंपरा है। यह मोक्ष प्राप्ति का साधन है। इस पर रोक लगाना गलत है।
जैन समाज ने किया विरोध
हरिद्वार। जैन धर्म के सलेलखन और संथारा परंपरा पर राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय का जैन समाज ने विरोध किया। हाल ही में राजस्थान उच्च न्यायालय ने सलेलखन और संथारा परंपरा को आत्महत्या की संज्ञा दी है। साधु सेवा समिति के संयोजक सतीश कुमार जैन ने कहा कि अंतिम सांस तक धर्म की साधना करना भारत के किसी कानून में निषिद्ध नहीं है। उच्च न्यायालय के निर्णय के विरोध में जैन समाज के लोगों ने ललतारौ पुल पर प्रदर्शन कर निर्णय वापस लेने की मांग की।
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