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उत्तराखंड विधानसभा में हंगामा, कांग्रेस के नौ विधायक भाजपा के पक्ष में

उत्तराखंड में तेजी से बदल रहे राजनीतिक घटनाक्रम में भाजपा ने सरकार बनाने का दावा किया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि कांग्रेस सरकार विश्वास खो चुकी है। इस बीच एक चार्टेड प्लेन से भाजपा और कांग्रेस के सभी बागी विधायकों को दिल्ली लाया जा रहा

By sunil negiEdited By: Published: Fri, 18 Mar 2016 11:07 AM (IST)Updated: Sat, 19 Mar 2016 05:40 AM (IST)

देहरादून। उत्तराखंड में तेजी से बदल रहे राजनीतिक घटनाक्रम में भाजपा ने सरकार बनाने का दावा किया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि कांग्रेस सरकार विश्वास खो चुकी है। वो लोग राज्यपाल से मिलकर सरकार को बर्खास्त करने की मांग करने जा रहे हैं। राज्य भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि राज्य की मौजूदा सरकार अल्पमत में आ चुकी है। रावत सरकार को नैतिक तौर पर सत्ता में बने रहने का कोई हक नहीं है।

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इस बीच कांग्रेस के सभी बागी विधायक दिल्ली आने के लिए जॉलीग्रांट एयरपोर्ट से निकल चुके हैं। इनके साथ भाजपा के भी सभी विधायक मौजूद हैं। इन सभी को एक चार्टेड प्लेन से दिल्ली लाया जा रहा है। यह सभी विधायक आज किसी भी समय भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात करेंगे। इनके साथ भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय, राज्य के पूर्व सीएम निशंक और राज्य भाजपा के अध्यक्ष सोम जाजू भी मौजूद हैं। हालांकि कांग्रेस नेता हिमेश खरकवाल ने कहा कि कांग्रेस सरकार के पास पूर्ण बहुमत है और रावत सरकार पूरी तरह सुरक्षित है। दूसरी ओर राज्य के सीएम ने भाजपा पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया है।

लंबे नाटकीय घटनाक्रम के बीच आखिरकार राज्य की कांग्रेस सरकार में बगावत भी खुलकर सामने आ गई। विधानसभा में विनियोग विधेयक पर मत विभाजन के दौरान हरीश रावत कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्री डा. हरक सिंह रावत के नेतृत्व में उनके समेत सत्तापक्ष के कुल नौ विधायक बगावत का बिगुल फूंकते हुए विपक्षी खेमे में आ गए। इस बीच स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने विनियोग विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया और कार्यवाही स्थगित करते हुए सदन से बाहर चले गए। इस पर विपक्षी विधायकों ने वेल में आकर नारेबाजी व हंगामा शुरू कर दिया। इस बीच मंत्री-विधायकों के बीच जमकर हाथापाई हुई।

वहीं, कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। कुछ देर पहले भाजपा के केंद्रीय राज्यमंत्री महेश शर्मा, संगठन महामंत्री शिव प्रकाश, सांसद भगत सिंह कोश्यारी, कांग्रेस नेता साकेत बहुगुणा, भाजपा नेता जगराज बिष्ट राज्यपाल केके पॉल से मिलने राज्यभवन पहुंचे। 35 विधायक बस से राज्यपाल से मिलने राजभवन जा रहे हैं। वहीं, राज्यपाल ने प्रमुख सचिव न्याय और अपर सचिव न्याय के साथ बैठ की।


उत्तराखंड के राजनीतिक इतिहास में यह पहला मौका है, जब 'घर' में ही बगावत के कारण किसी सरकार को सदन के भीतर न सिर्फ मत-विभाजन की सियासी आपदा से दो-चार होना पड़ा है, बल्कि सदन में मतदान के वक्त सत्तापक्ष के नौ विधायक भी विपक्ष के साथ खड़े हो गए। सूत्रों की मानें तो इस सियासी भूचाल की पटकथा बजट सत्र प्रारंभ होने से पहले ही लिख दी गई थी। सरकार के अंदर उठे बगावती सुरों ने इसे चार-पांच दिन में क्लाइमेक्स तक पहुंचा दिया। बगावत व अस्थिरता के इस घटनाक्रम में बीते रोज तब राजनीतिक पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया, जब भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय व प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू समेत कुछ अन्य नेता देहरादून पहुंचे।
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केंद्रीय नेताओं की मौजूदगी में भाजपा के विधायकों की एक होटल में देर रात्रि तक बैठक चलती रही। आज सुबह सदन की कार्यवाही प्रारंभ हुई, तो सत्ता के गलियारों में बगावत व कांग्रेस सरकार की अस्थिरता की आशंकाएं भी चढ़ते सूरज की रफ्तार से बलवती होती रही। सुबह से विधानसभा में कांग्रेस व भाजपा नेताओं की गहमागहमी रही। इन आशंकाओं से परेशान मुख्यमंत्री हरीश रावत व उनके करीबी सिपहसालार दिनभर सियासी आपदा प्रबंधन की कोशिश में जुटी रही। मुख्यमंत्री सत्तापक्ष के सभी विधायकों से अलग-अलग बातचीत करते रहे।

वहीं, विपक्षी विधायक पिछले कई दिनों की तरह आज भी सदन के भीतर व बाहर एकजुट दिखे। देर शाम सदन में विनियोग विधेयक पेश होते ही विपक्ष ने इस पर मत विभाजन की मांग उठा दी। इसी दौरान रावत सरकार के वरिष्ठ मंत्री हरक सिंह रावत समेत सत्तापक्ष के नौ विधायक विपक्ष के पाले में खड़े हो गए। डा. हरक सिंह रावत के मुताबिक इनमें विधायक विजय बहुगुणा, शैलारानी रावत, कुंवर प्रणव चैंपियन, प्रदीप बत्रा, अमृता रावत, सुबोध उनियाल, शैलेंद्र मोहन सिंघल व उमेश शर्मा शामिल हैं। अलबत्ता, स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने मतदान हुए बगैर ही बजट ध्वनिमत से पारित कर दिया और कार्यवाही स्थगित कर सदन से बाहर चले गए।
इसके बाद सदन में सियासी भूचाल खड़ा हो गया।

विपक्षी विधायक वेल में आकर नारेबाजी करने लगे। कुछ विधायक टेबल पर जा चढ़े। कई मंत्री व विधायकों के बीच जमकर धक्कामुक्की हुई। सदन के बाहर आते ही बागी कांग्रेसी विधायकों ने भी हरीश रावत के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी, तो भाजपा विधायक भी मुख्यमंत्री हरीश रावत व उनकी सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे। उधर, हरीश रावत खेमा उनके समर्थन में नारे लगा रहा था। वहीं, सीएम हरीश रावत और इंदिरा हृदयेश विधान सभा अध्यक्ष से मुलाकार करने गए। उधर, नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट, कांग्रेसी नेता विजय बहुगुणा और हरक सिंह रावत समेत 35 विधायक सदन में धरना दे रहे हैं।


'मत विभाजन के दौरान सदन में विनियोग विधेयक पारित नहीं हो पाया। लिहाजा, हरीश रावत के नेतृत्व वाली सरकार अल्प गिर गई है।'
-डा. हरक सिंह रावत, कांग्रेस के बागी गुट के नेता

'आज विभागीय बजट क्योंकि ध्वनिमत से पारित हुए लिहाजा इसी कड़ी में विनियोग विधेयक भी सदन में ध्वनिमत से पारित हो गया।
-गोविंद सिंह कुंजवाल, विधानसभा अध्यक्ष, उत्तराखंड

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