देवभूमि में देवी का स्वरूप बेटियों पर संकट, घट रही संख्या
उत्तराखंड के पांच जिलों में बेटियों का लिंगानुपात बेहद कम है। जिसमें देहरादून और हरिद्वार जिले भी शामिल हैं।
देहरादून, [गौरव ममगाईं]: देवभूमि उत्तराखंड में देवी का रूप समझी जाने वाली बेटियां संकट के दौर से गुजर रही हैं। दरअसल, देशभर के निम्न लिंगानुपात वाले 161 जिलों में प्रदेश के पांच जनपद भी शामिल हैं। हैरान करने वाली बात यह भी है कि इनमें देहरादून और हरिद्वार जैसे प्रदेश के मुख्य जनपद शामिल हैं।
एक कार्यक्रम के दौरान प्रमुख सचिव राधा रतूड़ी ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से देश के सभी राज्यों से निम्न शिशु लिंगानुपात वाले जनपदों की सूची तैयार की गई है। इनमें निम्न लिंगानुपात के आधार पर देशभर से 161 जनपदों को चिह्नित किया है। इन चिह्नित जनपदों में प्रदेश के पांच जिले भी शामिल हैं।
दरअसल, इन पांच जिलों में शिशु लिंगानुपात निम्न स्तर पर पहुंच रहा है। बताया कि इनमें देहरादून, चंपावत को ग्रीन लाइन में रखा गया है। ग्रीन लाइन का आशय खतरे की संभावना से है। जबकि अन्य पिथौरागढ़, हरिद्वार, चमोली जनपद खतरे के मानकों को पार कर रहे हैं।
यह माने जा रहे हैं कारण
राधा रतूड़ी ने बताया कि उत्तराखंड में गर्भ में बेटियों के जन्म का अनुपात बेटों की अपेक्षा काफी अधिक है, लेकिन लोग बच्चे के जन्म लेने से पहले ही गर्भ में शिशु का लिंग परीक्षण करा लेते हैं और बेटी पाए जाने पर गर्भपात जैसे गंभीर कृत्य को अंजाम देते हैं। इससे शिशु लिंगानुपात प्रभावित हुआ है।
चिह्नित जनपदों में लिंगानुपात
चमोली 803
पिथौरागढ़ 870
देहरादून 903
चंपावत 973
हरिद्वार 835
(नोट: प्रति एक हजार की तुलना में)
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