मच्छरों के खात्मे के लिए स्वास्थ्य विभाग अपनाने जा रहा है नायाब तरीका
स्वास्थ्य महकमा डेंगू की रोकथाम के लिए एक नायाब तरीका अपनाने जा रहा है। इस बार मच्छरों के खात्मे के लिए 'लार्वा ट्रैप' बिछाया जाएगा।

देहरादून, [जेएनएन]: स्वास्थ्य महकमा डेंगू की रोकथाम के लिए एक नायाब तरीका अपनाने जा रहा है। इस बार मच्छरों के खात्मे के लिए 'लार्वा ट्रैप' बिछाया जाएगा। इसके तहत विभाग मच्छरों के को प्रजनन का नियंत्रित स्रोत प्रदान करेगा। इसकी न केवल नियमित निगरानी की जाएगी, बल्कि समय पर नष्ट भी कर दिया जाएगा। इस काम में 350 आशा कार्यकर्ताओं को शामिल किया गया है।
जिला वीबीडी अधिकारी जगदीश बहुगुणा ने नियंत्रित स्रोत के बारे में बताते हुए कहा कि आशा को एक घर में खुले कंटेनर या बाल्टी में 10-15 लीटर पानी डालने और इसे नियमित रूप से मॉनिटर करने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि विभाग शहर के विभिन्न हिस्सों में बड़े पैमाने पर स्रोत कम करने के कार्यक्रम भी चला रहा है। इसमें मच्छर के प्रजनन के स्रोतों की पहचान कर कीटनाशक का उपयोग और व्यापक फॉगिंग के माध्यम से नष्ट किया जा रहा है।
अब निरंतर स्रोत नष्ट करने की गतिविधियों के साथ ही आशा कार्यकर्ता नियंत्रित स्रोत बनाएंगे। ताकि प्रजनन स्थल की तलाश में मच्छर वहां बस जाएं। एक मादा एडीज मच्छर एक समय में लगभग 200 अंडे देती है और अपने पूरे जीवन काल में इससे पांच से सात गुना अंडे देती है। विभाग ने इस बार शहर के विभिन्न हिस्सों में 400 नियंत्रित स्रोत बनाए हैं। यदि हम एक समय में एक नियंत्रित स्रोत पर 400 अंडों को नष्ट करने में सक्षम हैं, तो हम शहर में एक चक्र में 4 लाख मच्छरों को रोक सकते हैं।
नियंत्रित स्रोतों के निर्माण के साथ ही स्वास्थ्य अधिकारी किसी विशेष क्षेत्र में मच्छरों के घनत्व के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर पाएंगे और मच्छर से उत्पन्न बीमारी पर रणनीति तैयार कर सकेंगे। बता दें कि देहरादून जिले में पिछले साल डेंगू के 1434 मामले सामने आए थे। जबकि वर्ष 2015 में 829 मामले दर्ज हुए थे। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का दावा है कि इस साल एक भी मामले में डेंगू का मामला दर्ज नहीं किया गया है। जबकि गत वर्ष अब तक 100 से ज्यादा मामले रिपोर्ट हो चुके थे।

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