उत्तराखंड के लिए खतरा बनेंगे 500 भूस्खलन क्षेत्र
उत्तराखंड पर 50 भूस्खलन क्षेत्रों का खतरा मंडरा रहा है। ये क्षेत्र छोटे से लेकर बेहद बड़े आकार के भी हैं। राज्य में ऐसे तमाम स्थान हैं, जहां पर नदियों की बाढ़ का खतरा अधिक है।
देहरादून, [सुमन सेमवाल]: उत्तराखंड पर 50 भूस्खलन क्षेत्रों का खतरा मंडरा रहा है। ये क्षेत्र छोटे से लेकर बेहद बड़े आकार के भी हैं। इसके साथ ही राज्य में ऐसे तमाम स्थान हैं, जहां पर नदियों की बाढ़ का खतरा सबसे अधिक है। वहीं, भूकंप के लिहाज से पूरे प्रदेश को अति संवेदनशील माना गया है। आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र की ओर से कराए जा रही डिजास्टर रिस्क एसेसमेंट स्टडी में यह बात सामने आई। कार्यशाला में आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ डॉ. गिरीश चंद्र जोशी ने इस पर प्रस्तुतीकरण भी दिया।
आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ डॉ. गिरीश ने बताया कि डिजास्टर रिस्क एसेसमेंट स्टडी के तहत डिजास्टर रिस्क डाटा बेस (डीआरडीबी) तैयार किया जा रहा है। प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में जो भूस्खलन क्षेत्र चिह्नित किए गए हैं, उनकी पूरी जानकारी सरकार को देने के साथ ही केंद्र की वेबसाइट पर अपलोड की जाएगी। ताकि इनकी रोकथाम के साथ ही जनता को भी इसकी जानकारी दी जा सके। इसके अलावा भूकंप के लिहाज से प्रदेश में 15 प्रकार के 15 का सर्वे किया गया था।
अध्ययन में बताया गया है कि विभिन्न क्षमता के भूकंप में किस श्रेणी के भवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा। भूंकप को लेकर सिस्मिक गैप की मैपिंग भी कराई गई है। पूरे उत्तराखंड क्षेत्र में 8.5 रिक्टर स्केल का भूकंप वर्ष 1803 के बाद रिपोर्ट नहीं किया गया। इस विशाल क्षमता के भूकंप को गढ़वाल अर्थक्वेक के नाम से भी जाना जाता है।
वर्ष 1803 का भूकंप यह बताता है कि इस भूभाग में दोबारा कभी भी इतनी क्षमता का भूकंप आ सकता है। यदि ऐसा हुआ तो राज्य में एक भी भवन सुरक्षित नहीं बचेगा। डॉ. गिरीश जोशी ने यह भी बताया कि दिसंबर 2017 तक प्रोजेक्ट को पूरा कर उसकी जानकारी ऑनलाइन कर दी जाएगी।
चार नदियों से 45 क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा
आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ डॉ. गिरीश जोशी ने बताया कि डिजास्टर रिस्क एसेसमेंट स्टडी के अलावा रिवर मॉर्फोलॉजी स्टडी भी कराई जा रही है। इसके तहत उत्तराखंड में भागीरथी, अलकनंदा, मंदाकिनी व काली नदी को अध्ययन में शामिल किया गया है। अब तक के सर्वे में इन नदियों में 45 ऐसे क्षेत्र चिह्नत किए गए हैं, जहां पर बाढ़ का सबसे अधिक खतरा है। 2050 तक इन क्षेत्रों में कितनी बार बाढ़ आ सकता है, इस पर भी काम किया जा रहा है। संभव है कि अध्ययन समाप्त होने तक बाढ़ से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों की संख्या और बढ़ जाए।
यह भी पढ़ें: हिमालय में इस परिवर्तन से आ सकते हैं बड़े भूकंप, जानिए
यह भी पढ़ें: उत्तरकाशी और हरिद्वार में भूकंप के हल्के झटके, लोग घरों से बाहर निकल आए
यह भी पढ़ें: मोहंड फॉल्ट ला सकता है 9 रिक्टर स्केल का विनाशकारी भूकंप