उत्तराखंड में एक और प्रशिक्षु आइएफएस ने दी coronavirus को मात, जानिए ठीक होने के बाद क्या कहा
कोरोना को लेकर एक तरफ जहां भय का माहौल है इस जंग में कई लोग फाइटर बनकर उभरे हैं। इन्हीं में एक हैं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के प्रशिक्षु आइएफएस शैलेंद्र सिंह।
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड में कोरोना के मरीजों की बढ़ती संख्या के बीच एक अच्छी खबर है। कोरोना को लेकर एक तरफ जहां भय का माहौल है, इस 'जंग' में कई लोग 'फाइटर' बनकर उभरे हैं। इन्हीं में एक हैं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के प्रशिक्षु आइएफएस शैलेंद्र सिंह। 21 दिन अस्पताल में रहने के बाद उन्होंने इस बीमारी से पार पा ली है। रविवार को उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।
मूल रूप से आगरा उत्तर प्रदेश के रहने वाले शैलेंद्र लिए बीता वक्त मुश्किलों भरा रहा। शैलेंद्र ने बताया कि वह लोग स्पेन और फिनलैंड शैक्षिक टूर पर गए थे। यहां वापस आकर उनकी दुनिया ही बदल गई। हल्की तबीयत खराब होने पर 12 मार्च को उनका सैंपल लिया गया था। 15 मार्च को रिपोर्ट आई और उनमें कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई, जिसके बाद उन्हें दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती किया गया।
यहां उनके कुल सात सैंपल लिए गए। पहला, दूसरा और तीसरा सैंपल पॉजिटिव आया। चौथा सैंपल निगेटिव आने पर उनमें थोड़ा आस जगी। पर पांचवा सैंपल फिर पॉजिटिव आ गया। इस बीच उनके दो अन्य साथी स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हो चुके थे और इस रिपोर्ट ने उन्हें मायूस कर दिया था। चिकित्सकों और अन्य जानकारों से बातचीत करने पर पता लगा कि कुछेक मामलों में ऐसा हो रहा है। एक बारगी लगा कि इस सबसे उबर पाना आसान नहीं होगा। पर उन्होंने हिम्मत बांधे रखी और खुद को सकारात्मक रखा।
छठा और सातवां सैंपल निगेटिव आने के बाद अब उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई है। उन्हें देख आइसोलेशन वार्ड में भर्ती अन्य मरीजों में भी उम्मीद जगी है। चिकित्सकों ने उन्हें 14 दिन होम क्वारंटाइन में रहने की सलाह दी है। शैलेंद्र ने अस्पताल के डॉक्टर, नर्सिंग, पैरामेडिकल स्टाफ और अन्य कर्मचारियों का आभार जताया है।
अच्छी इम्यूनिटी ही बचाएगी
शैलेन्द्र का कहना है कि कोरोना को लेकर समाज में भय व्याप्त है। पर इससे डरने नहीं, बल्कि सतर्क रहने की जरूरत है। एक पहलू यह भी है कि यदि आप जवान हैं, इम्यूनिटी अच्छी है और कोई गंभीर रोग नहीं है तो घबराने की जरूरत नही है। कहा कि इस विषय पर लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करने की आवश्यकता है।
जरूरी नहीं है कि सभी लक्षण दिखाई दें
शैलेंद्र ने बताया कि उन्हें न तो तेज बुखार आया या न गला खराब था। तीव्र लक्षण नहीं हैं तो यह मत सोचिए कि आपको कोरोना नहीं हो सकता। हल्का बुखार, खांसी आदि होने पर यह भी संभव है आपकी इम्यूूनिटी अच्छी है इसलिए आपको ज्यादा दिक्कत नहीं है। ऐसे में चिकित्सक से परामर्श लेकर उनकी सलाह पर चलें।
लॉकडाउन का करें पालन
उनका सभी को संदेश है कि लॉकडाउन का पूर्णत: पालन करें। अगर आप युवा हैं तो संभव है आप कोरोना से पार पा लेंगे। लेकिन आपके संपर्क में आने पर किसी बुजुर्ग या अन्य बीमारी से ग्रसित व्यक्ति की दिक्कत बढ़ सकती है।
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बहुत चिंतित था परिवार
शैलेंद्र ने बताया कि जब उनके परिवार वालों को इस बारे में पता लगा था तो वे बहुत परेशान हुए, लेकिन उन्होंने खुद परिवार के लोगों को यहां आने से मना कर दिया। उनके स्वस्थ होने की खबर से अब वह भी निश्चिंत हैं। शैलेंद्र को झारखंड काडर मिला है।
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