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सेवा ने तोड़ी जाति-धर्म व वक्त की बंदिशें

By Edited By: Published: Tue, 25 Jun 2013 01:32 AM (IST)Updated: Tue, 25 Jun 2013 07:49 AM (IST)
सेवा ने तोड़ी जाति-धर्म व वक्त की बंदिशें

जागरण ब्यूरो, देहरादून: 22 बरस पहले उत्तरकाशी भूकंप के दौरान पीड़ितों की सेवा के लिए बोया गया एक नन्हा सा पौधा आज वटवृक्ष बनकर आपदा पीड़ितों के 'जख्मों' पर निस्वार्थभाव से मरहम लगाने की मुहिम में जुटा है। उत्तराखंड में जलप्रलय से हुई तबाही के बाद पीड़ितों की मदद के इस जज्बे को समाज के सभी वर्गो से जुड़े लोग, संगठन व संस्थाएं भी सलाम कर रही हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रेरणा से दो दशक पूर्व गठित यह दैवी आपदा पीड़ित सहायता समिति अब एक बड़ा कारवां बन चुकी है।

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देहरादून के डीबीएस कालेज में भूगोल के एचओडी रहे डा. नित्यानंद (86 वर्ष) पिछले कुछ दिनों से अस्पताल में भर्ती हैं, मगर बीमारी की परवाह किए बगैर उनका पूरा ध्यान आपदा पीड़ितों की मदद में ही लगा है। दरअसल, यह समिति उन्हीं का रोपा हुआ पौधा है, जो आज वटवृक्ष बन चुका है। रुद्रप्रयाग, चमोली व उत्तरकाशी के आपदा प्रभावित क्षेत्रों में पीड़ितों की मदद के लिए समिति अब तक 25 गाड़ियों में राहत सामग्री पहुंचा चुकी है, जबकि गोदामों में कुंतलों रसद और उपलब्ध है।

गुप्तकाशी, फाटा के राहत शिविरों में आपदा पीड़ितों को भोजन व अन्य जरूरी सामान उपलब्ध कराया जा रहा है, तो उत्तरकाशी के मनेरी स्थित केशव सेवा आश्रम में भी पीड़ितों की मदद के लिए रोज भंडारा व रहने की व्यवस्था समिति कर रही है। देहरादून में भी जैन धर्मशाला, शिवाजी धर्मशाला व गीता भवन में पीड़ितों के लिए आवास की व्यवस्था की गई है। समिति की निस्वार्थ सेवा की इस मुहिम में जाति, धर्म व वर्गो की तमाम बंदिशें भी टूट रही हैं।

यही वजह है कि सहारनपुर जिले के गणेशपुर स्थित मदरसा दारूल उलूम अल खैरिया के संचालक राव इरशाद अली ने भी आपदा पीड़ितों की मदद के लिए समिति को 21 हजार रुपये की सहयोग राशि सौंपी। वहीं, देहरादून के एक सरकारी स्कूल की भोजनमाता राजकुमारी ने 1000 रुपये की मदद दी है। समिति से जुड़े सुशील गुप्ता बताते हैं कि वर्ष 1991 के भूकंप के बाद समिति ने उत्तरकाशी के कई प्रभावित परिवारों का पुनर्वास किया है। समिति अब हाल में आई आपदा में तबाह हो चुके कई गांवों के पुनर्वास की योजना पर भी काम शुरू करेगी।

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