Move to Jagran APP

परीलोक सी खूबसूरत है 'फूलों की घाटी', पर्यटकों के लिए कल से खुल रही है घाटी

हिमालय क्षेत्र में स्थित ‘फूलों की घाटी’ का अद्भुत प्राकृतिक सौन्दर्य है और यही वजह है कि लोग इसे पारलौकिक और परियों का संसार कहते हैं। एक जून से यह पर्यटकों के लिए खुल रही है।

By sunil negiEdited By: Published: Tue, 31 May 2016 03:00 PM (IST)Updated: Tue, 31 May 2016 07:16 PM (IST)

देवेंद्र रावत, गोपेश्वर (चमोली)। विश्व धरोहर फूलों की घाटी के दीदार को पर्यटकों में खासा उत्साह है। घाटी एक जून से पर्यटकों के लिए खुलनी है, लेकिन पर्यटक तीन दिन पहले से ही घांघरिया में डेरा डाल चुके हैं। इससे उम्मीद बंध रही कि यह सीजन आपदा से मिले जख्मों को मिटाने वाला साबित होगा। पर्यटन व्यवसायी भी घाटी के खुलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं और पर्यटकों की आवाभगत के लिए उन्होंने सारी तैयारियां कर दी हैं।
नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन फूलों की घाटी तक जाने वाले पैदल मार्ग को सुचारु बना चुका है। और...घाटी भी पर्यटकों की आगवानी को पूरी तरह तैयार है। वहां खिले विभिन्न प्रजातियों के चित्ताकर्षक फूलों की रंगत देखते ही बनती है। हालांकि, फूलों की घाटी अपने सबाब पर अगस्त से सितंबर के मध्य रहती है। लेकिन, जून से सितंबर के मध्य भी यहां का नैसर्गिक सौंदर्य आनंदित कर देने वाला होता है।

loksabha election banner

पढ़ें:-केदारनाथ मंदिर इतने सौ सालों तक दबा रहा बर्फ के अंदर, जानने के लिए पढ़ें...

वर्ष 1982 में नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क का गठन
फूलों की घाटी के संरक्षण को नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क का गठन वर्ष 1982 में हुआ था। जबकि, वर्ष 2005 में इसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर का दर्जा प्रदान किया। घाटी की खोज विदेशी पर्यटक फ्रेंक एस स्माइथ ने की थी। यहां 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं। जुलाई से अक्टूबर के मध्य तो अलग-अलग प्रजाति के रंग-बिरंगे फूल खिलने से घाटी का रंग बदल जाता है।

पर्यटकों ने अभी से घांघरिया में डाला डेरा
इस वर्ष फूलों की घाटी तक पैदल मार्ग व पुलों के निर्माण का कार्य पूरा हो चुका है। वन विभाग की मानें तो फूलों की घाटी जाने के लिए पर्यटक लगातार घांघरिया पहुंच रहे हैं। एक दर्जन से अधिक पर्यटक तो घांघरिया में डेरा डाले हुए हैं। देहरादून के कारगी चौक निवासी अभिषेक सिंह साथियों सहित घांघरिया पहुंचे हुए हैं। हेमकुंड ट्रैकिंग के बाद उन्हें फूलों की घाटी के खुलने का इंतजार है।

पढ़ें:-मौसम के आगे आस्था भारी, चारधाम में उमड़े रहे श्रद्धालु, सभी यात्रा मार्ग खुले


ऐसे पहुंचें
बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर जोशीमठ-बदरीनाथ के बीच 20 किलोमीटर गोविंदघाट-पुलना तक सड़क सुविधा है। यहां से 11 किलोमीटर घांघरिया तक घोड़ा-खच्चर व डंडी-कंडी से या पैदल पहुंचा जा सकता है। घांघरिया से वन विभाग का शुल्क जमाकर फूलों की घाटी में दोपहर तक ही प्रवेश होता है।

प्लास्टिक है प्रतिबंधित
घाटी में डिस्पोजल प्लास्टिक ले जाना पूरी तरह प्रतिबंधित है। खाने की सामग्री के साथ जाने वाला कचरा भी पर्यटकों को वापस अपने साथ घांघरिया लाना होता है।

घाटी के लिए शुल्क
भारतीय पर्यटक : 150 रुपये
विदेशी पर्यटक : 650 रुपये
पांच साल की उम्र तक : निशुल्क

फूलों की घाटी जाने के लिए इस बार पर्यटकों में खासा उत्साह है। इस संबंध में देशी-विदेशी पर्यटक नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन से जानकारी ले रहे हैं। उम्मीद है कि इस बार आपदा के बाद से कम हुई पर्यटन गतिविधियों में इजाफा होगा।
-सर्वेश कुमार दुबे, उप प्रभागीय वनाधिकारी, नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क


फूलों की घाटी में पर्यटकों की आवाजाही से भ्यूंडार घाटी के पर्यटन व्यवसाय को मजबूती मिलेगी। इस बार फूलों की घाटी पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या इसलिए भी बढऩे की उम्मीद है, क्योंकि देश-विदेश से लोग होटल बुङ्क्षकग सहित अन्य सुविधाओं के लिए संपर्क कर रहे हैं।
-भरत सिंह चौहान, पर्यटन व्यवसायी घांघरिया

पढ़ें:-भगवान विष्णु भी हैं इनके कर्जदार..., जानने के लिए पढ़ें खबर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.