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बदरीनाथ रूट पर तेजी से पिघल रहे हैं हिमखंड, यात्री नहीं कर पाएंगे दीदार

बदरीनाथ रूट पर सड़क किनारे दिखने वाले विशाल हिमखंडों का इस बार श्रद्धालु दीदार नहीं कर सकेंगे। इसका कारण यह है कि ये हिमखंड तेजी से पिघल रहे हैं।

By BhanuEdited By: Published: Thu, 23 Feb 2017 11:17 AM (IST)Updated: Fri, 24 Feb 2017 05:05 AM (IST)
बदरीनाथ रूट पर तेजी से पिघल रहे हैं हिमखंड, यात्री नहीं कर पाएंगे दीदार
बदरीनाथ रूट पर तेजी से पिघल रहे हैं हिमखंड, यात्री नहीं कर पाएंगे दीदार

चमोली, [हरीश बिष्ट]: इस बार बदरीनाथ आने वाले यात्री सफर में रोमांच का अहसास नहीं कर पाएंगे। हनुमान चट्टी से बदरीनाथ के बीच करीब 15 किलोमीटर की दूरी में अक्सर नजर आने वाले हिमखंड पूरी तरह से नदारद हैं।

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हालांकि तीन सप्ताह पहले ही बदरीनाथ में आठ फुट बर्फ जमा थी, जो अब महज दो फुट के आसपास रह गई है। फरवरी में एकाएक बढ़े तापमान के कारण हिमखंड दो माह पहले ही पिघल गए।

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छह मई को बदरीनाथ के कपाट खुलने के साथ ही चार धाम यात्रा पूरी तरह से शुरू हो जाएगी। इससे पहले केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री के कपाट भी खुल जाएंगे।

इस दौरान देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु उत्तराखंड की यात्रा पर आते हैं। शुरुआती दौर में आने वाले यात्रियों के लिए जोशीमठ और बदरीनाथ के बीच सड़क किनारे जमा विशाल हिमखंड आकर्षण का केंद्र रहते हैं।

इनमें लामबगड़, रड़ांग बैंड, कंचनगंगा और बदरीनाथ हेलीपैड जैसे दर्जनभर स्थान प्रमुख हैं। लेकिन इस मर्तबा तापमान में आए परिवर्तन से यहां हिमखंड नदारद हैं।

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आम तौर पर फरवरी में बदरीनाथ का तापमान चार से सात डिग्री सेल्सियस रहता है, वहीं इस बार सात से दस डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है।

मौसम विभाग के निदेशक डॉ. विक्रम सिंह इसे कोई आश्चर्यजनक घटना नहीं मानते। विक्रम के मुताबिक राज्य में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय है और जब भी पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होगा तापमान स्वाभाविक रूप से बढ़ेगा। जल्द ही यह सामान्य हो जाएगा।

नियमित अंतराल पर नहीं हुआ हिमपात

वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के हिमनद विशेषज्ञ डॉ. डीपी डोभाल के मुताबिक इस बार बर्फबारी कम हुई है। दरअसल नियमित अंतराल पर हिमपात नहीं हो पाया। इसके चलते ग्लेश्यिर में बर्फ एकत्रित नहीं हो पाई। मौसम में इस तरह के उतार चढ़ाव देखने को मिलते रहते हैं। फिलहाल इसे जलवायु परिवर्तन से जोड़कर नहीं देखा जा सकता। इसके लिए लंबे समय तक निरीक्षण की जरूरत पड़ती है।

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