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Uttarakhand Forest Fire: वातावरण में फैले धुएं से बढ़ने लगा बीमारियों का खतरा, सूर्य की किरणें भी मंद; बच्चे-अस्थमा रोगी सबसे अधिक परेशान

Uttarakhand Forest Fire जंगलों में लगी आग के कारण वातावरण में धुुंआ फैल गया है। धुएं से लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ने लगा है। जिला अस्पताल के चिकित्सक डा. राजीव उपाध्याय ने बताया कि जंगल की आग से उठे धुएं से प्रदूषण बढ़ गया है। मानव जीवन के लिए यह हानिकारक हो सकता है। धूप खिलने के बावजूद सूर्य की किरणें धरती पर नहीं पड़ पा रही हैं।

By ghanshyam joshi Edited By: Nirmala Bohra Published: Fri, 03 May 2024 03:08 PM (IST)Updated: Fri, 03 May 2024 03:08 PM (IST)
Uttarakhand Forest Fire: अस्थमा रोगियों के लिए चिंता

जागरण संवाददाता, बागेश्वर: Uttarakhand Forest Fire: जंगलों में लगी आग के कारण वातावरण में धुुंआ फैल गया है। धुएं से लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ने लगा है।

सांस, हदृय तथा संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। अस्पतालों में भीड़ लग रही है। छोटे बच्चे तथा अस्थमा रोगियों सबसे अधिक परेशान हैं। सूर्य की किरणें भी मंद पड़ गईं हैं।

चौड़ीपत्ती के जंगल भी जलने लगे

जिले में चीड़ के साथ ही चौड़ीपत्ती के जंगल भी जलने लगे हैं। जिससे धुंआ बढ़ गया है। वातावरण में फैला हुआ है। धूप खिलने के बावजूद सूर्य की किरणें धरती पर नहीं पड़ पा रही हैं। सूर्य चांद से दिखने लगा है। लोगों को सांस लेने में दिक्कतें हो रही हैं। अस्थमा रोगी सबसे अधिक बेचैन हैं।

जिला अस्पताल के चिकित्सक डा. राजीव उपाध्याय ने बताया कि जंगल की आग से उठे धुएं से प्रदूषण बढ़ गया है। मानव जीवन के लिए यह हानिकारक हो सकता है। इसके साथ ही वन्य जीव तथा मवेशियों के लिए भी यह खतरनाक हो सकता है।

धुएं से जीवन में दीर्घकालीन प्रभाव

डा. पंकज पंत ने बताया कि जंगल की आग के धुएं में दर्जनों अलग-अलग तरह के कण होते हैं। जैसे कि कालिख तथा रसायन। जिनमें कार्बन मोनोआक्साइड शामिल है। सांस लेने के लिए सुरक्षित सूक्ष्म कणों की कोई मात्रा नहीं है। क्योंकि यह फेफड़ों की सबसे छोटी दरारों में गहराई तक घुसने के लिए जाने जाते हैं।

रक्त प्रवाह में प्रवेश कर जाते हैं। यह हार्मोन कोर्टिसोल तथा रक्त ग्लूकोज स्पाइक, जो बदले में हृदय की लय में बदलाव करता है। इससे रक्त के थक्के बनने की अधिक आशंका होती है। फेफड़ों की परत में सूजन आ जाती है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। धुएं के मानव शरीर पर दीर्घकालिक प्रभाव हो सकते हैं।


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