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राम गंगा में समाया विद्यालय

By Edited By: Published: Tue, 19 Aug 2014 11:05 PM (IST)Updated: Tue, 19 Aug 2014 11:05 PM (IST)

शाहजहांपुर : गंगा व रामगंगा नदी में जलस्तर बढ़ने से कटरी के कई गांवों में खतरा उत्पन्न हो गया है। विकास खंड क्षेत्र के तीन गांवों के ग्रामीणों में हाहाकार है। पहरुआ गांव के प्राथमिक विद्यालय का आधा हिस्सा रामगंगा नदी की कटान से गिर गया है। बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। रामगंगा नदी गांवों की ओर कटान करते हुए तेजी से बढ़ रही है। गर्रा और खन्नौत नदियां खतरे के निशान से दूर हैं। सिंचाई विभाग के अधिकारी बाढ़ का जायजा लेने के लिए गांवों में भ्रमण कर रहे हैं।

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उत्तराखंड में हो रही बारिश मैदानी इलाकों में तबाही मचा रही है। गंगा, रामगंगा के अलावा अन्य नदियों के जलस्तर में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। रामगंगा नदी जलस्तर बढ़ने से तेजी से कटान करती हुई मौजमपुर, कुनिया शाह नजीरपुर, हरिहरपुर गांवों की ओर बढ़ रही है। पहरुआ गांव में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है जिससे ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पहरुआ गांव के प्राथमिक विद्यालय की चहारदीवारी व पीछे का हिस्सा रामगंगा नदी में समा गया है। एनपीआरसी बुधपाल व प्रधानाध्यापक राजबहादुर ने अनिश्चितकाल के विद्यालय को बंद कर दिया गया। विद्यालय में आंगनबाड़ी केंद्र का भी संचालन होता था जिसे भी बंद कर दिया गया है। मौजमपुर व कुनियाशाह नजीरपुर गांव में ग्रामीण पक्के घरों को तोड़ रहे हैं। हरिहरपुर गांव के ग्रामीण नदी किनारे बाग में पेड़ काटने लगे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ से पेड़ बह जाएंगे। समय रहते काटने से लकड़ी मिल जाएगी। कई गांवों के ग्रामीण बाढ़ की आशंका से सुरक्षित स्थानों को पलायन करने लगे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि शिक्षा विभाग का कोई अधिकारी विद्यालय देखने तक नहीं आया है।

सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता एसके शर्मा व सहायक अभियंता हरिवंश कुमार ने पहरुआ समेत अन्य गांवों का दौरा किया। कटान को रोकने के लिए तीन हजार बोरियों में रेता भरवाने का काम शुरू करा दिया है। अधिकारी द्वय ने बताया कि रामगंगा नदी का जलस्तर घटने पर बोरियों को कटान रोकने के लिए लगाया जाएगा। बाढ़ पीड़ितों ने तहसील प्रशासन की ओर से भेजी गई नाव को यह कहकर लौटा दिया है कि नाव छोटी और पुरानी है। पूर्व में नाव भेजी गई थी जो नदी में ़डूब गई है। बाढ़ पीड़ित सुरेश चंद्र शर्मा, विनोद कुमार, प्रेम सरन, मटरे, छोटेलाल, शिवरतन, शैलेंद्र आदि ने सहायता उपलब्ध कराने की मांग की है। गंगा में जलस्तर बढ़ने से पंखिया नगला, मस्जिद नगला, आजाद नगर, थाथरमई, भरतपुर, सौलानी व चौरा के ग्रामीणों में हड़कंप है।

' वास्तविकता में ग्रामीणों को नाव की जरूरत नहीं है। पहले भेजी गई नाव को नदी में डूबने की बात ग्रामीण कह रहे हैं,लेकिन यह सच्चाई नहीं है। नाव को कही छिपा दिया गया है। आज भेजी गई नाव छोटी नहीं थी बल्कि कोई ग्रामीण सुपुदर्गी में लेने को तैयार नहीं था इसलिए वापस की गई है।

-हरिशंकर लाल शुक्ल, उपजिलाधिकारी

इनसेट..

जलस्तर एक नजर

नरौरा बांध से गंगानदी में 2 लाख 29 हजार 526 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है,जिससे बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। बदायूं के कछला में164.05 जलस्तर है जबकि खतरे का निशान 165.200 सेंटीमीटर है। चौबारी में 160.230 गंगा का जलस्तर है। रामगंगा नदी में बैराजों से 15 हजार 630 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। गर्रा का जलस्तर 146.05 खतरे का निशान 148.80 जब कि खन्नौत नदी का जलस्तर 143.20 व खतरे का निशान 145.75 सेंटीमीटर है।


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