राम गंगा में शुरू हुई कटान
शाहजहांपुर : रामगंगा की कटान से ग्रामीणों का पलायन शुरू हो गया है। छोटा पहरुआ गांव के साथ ही प्राथमिक विद्यालय के अस्तित्व समाप्त होने की आशंका उत्पन्न हो गई है। ग्रामीणों का कहना है कि रामगंगा में यदि बाढ़ का पानी तेज बहाव वाला होता तो कटान की समस्या उत्पन्न नहीं होती। कई ग्रामीणों ने पक्के मकानों को तोड़कर सुरक्षित स्थानों पर पन्नी तानकर ठिकाना बना लिया है।
बाढ़ पीड़ित ग्रामीणों के अनुसार रामगंगा नदी कटान करते हुए पहरुआ प्राथमिक विद्यालय के खड़ंजे तक पहुंच गई है। विद्यालय नदी की धारा से बमुश्किल चार मीटर की दूरी पर बचा है। शनिवार को विद्यालय में जान जोखिम में डालकर बच्चों की पढ़ाई की गई थी। विद्यालय की चाहरदीवारी का मुख्य दरवाजा नहीं खोला गया था बल्कि छोटे दरवाजे से बच्चों को विद्यालय के अंदर प्रवेश दिलाया गया था। खंड शिक्षा अधिकारी इंद्र प्रताप सिंह ने प्रधानाध्यापक राजबहाहुर को निर्देशित किया है कि सरकारी विद्यालय से शिक्षण कार्य बंद कर गांव के किसी निजी भवन में संचालन करें। उन्होंने कहा कि 172 बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने की जरूरत नहीं है।
मौजमपुर गांव में रामगंगा की कटान से कई घर नदी में समा गए हैं। राममूर्ति व वीरेंद्र आदि ने पक्के मकानों को स्वयं तोड़ दिया है। मोरपाल, पहलवान, सुरेंद्र, विनोद, नेत्रपाल व मेहराम के अनुसार गांव में कटान को लेकर ग्रामीणों में भय है। नदी किसी वक्त पूरे गांव को बहा ले जा सकती है। यही हाल हरिहरपुर व मई खुर्दकला गांवों का है। छोटा पहरुआ गांव में करीब 100 परिवार रहते थे जो दूसरे स्थानों पर पन्नी डालकर जिंदगी काट रहे हैं।
उधर तहसील प्रशासन की ओर से उप जिलाधिकारी हरिशंकर शुक्ल ने मकान क्षतिपूर्ति में रामपाल, छोटे लाल, चंद्रपाल, राजेंद्र व ब्रजपाल को ढाई-ढाई हजार रुपये की चेक आर्थिक सहायता के रूप में प्रदान की है।