हिंसाग्रस्त शब्बीरपुर में बजा डीजेः ठाकुरों ने किया दलित बहनों का कन्यादान
सहारनपुर के शब्बीरपुर में ठाकुरों ने दो दलित बहनों का कन्यादान कर सुलह और अमन की मजबूत नींव रख दी।
सहारनपुर (जेएनएन)। हिंसा को लेकर बदनाम हुए शब्बीरपुर गांव ने आज सामाजिक सदभाव की बेहतरीन मिसाल देकर जात-पात की राजनीति करने वालों को आईना दिखा दिया। तपती-जलती दुपहरी पर अचानक छाये सद्भाव के बादलों ने इंसानियत की ऐसी फुहारें बरसायीं कि हर किसी का तन-मन भीग गया। मौका था दो दलित बहनों की शादी का। सो, गांव की बेटी अपनी बेटी का भाव तमाम दुश्मनी, गिलों-शिकवों पर भारी पड़ा। ठाकुरों ने दोनों बहनों का कन्यादान कर सुलह और अमन की मजबूत नींव रख दी। शुक्रवार को डीजे की धुन पर राजपूत और दलित बिरादरी के युवक जमकर नाचे।
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बजा डीजे और सब नाचे
कई हफ्ते से नफरत की आग में झुलस रहा गांव शब्बीरपुर शुक्रवार को दिलकश वाकये से रूबरू हुआ। 21 दिन पहले जहां दलित-ठाकुर पक्ष के लोग जिस डीजे बजाने पर एक-दूसरे के खून के प्यासे थे, वही फकीर चंद की बेटियों प्रीति व मोनी उर्फ मनीषा की शादी में डीजे पर जमकर नाच रहे थे। प्रीति की बरात शीतलपुर से धर्मपाल के पुत्र निक्की तो मनीषा की बरात शामली के जानीपुर के सुखपाल के बेटे अरुण लेकर आए थे। शब्बीरपुर के पूर्व प्रधान ठाकुर ओम सिंह व महेशपुर के पूर्व प्रधान नकली सिंह ने मेजबान की हैसियत से बरातियों की अगवानी की। दलित और ठाकुर पक्ष के युवक बरात के स्वागत को गांव के द्वार पर खड़े रहे।
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शादी से पहले भयभीत थे सब
दुल्हन मनीषा व प्रीति बोलीं कि शादी से पहले तमाम आशंकाओं के चलते सब डरे हुए थे। पर सब कुछ खुशी से निपट गया। अफसरों व जिम्मेदार लोगों ने शामिल होकर हमारी शादी को वीआइपी बना दिया। हालांकि सुरक्षा को लेकर सतर्क प्रशासन के निर्देश पर आरएएफ और पुलिस बरात के साथ रही। बरात को रविदास मंदिर तक भी पुलिसवाले रास्ता बताकर ले गए। समारोह स्थल पर भी पुलिसबल मुस्तैद था।
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चिंतित थे ठाकुर
शादी फकीरचंद की बेटियों की थी, लेकिन ङ्क्षचता की लकीरें जिम्मेदार ठाकुरों के चेहरों पर थीं। चिंता थी कि खाना कम न पड़ जाए और किसी मेहमान को दिक्कत न हो जाए। गांव के लोग गुरुवार रात से ही तैयारियों में जुटे थे। फकीरचंद ने कहा कि मैं तो किसी मेहमान की तरह बेफिक्र रहा। मंडलायुक्त एमपी अग्रवाल, सीओ देवबंद, नायब तहसीलदार, बीडीओ आदि अफसरों के अलावा ठाकुर नकली सिंह, ओम सिंह, दिनेश मुखिया और जसबीर सहित शब्बीरपुर व आसपास के गांव के पचास से भी अधिक ठाकुरों ने कन्यादान का नेग दिया।
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