सब्सिडी की गैस से सींच रहे धान
पीलीभीत : सूखे की मार झेल रहे किसानों ने एक नई तकनीक विकसित कर ली है। कुकिंग गैस से पंपिंगसेट चलाकर डीजल की बचत किसान कर रहे हैं। एक सिलेंडर में करीब 60 घंटे तक सिंचाई होती है। इस दौरान ढाई हजार तक का फायदा किसानों को हो रहा है।
कहते हैं कि आवश्यकता अविष्कार की जननी होती है। इसी फार्मूले को ध्यान में रखकर क्षेत्रीय किसानों ने कुकिंग गैस से पंपिंग सेट चलाने शुरू कर दिए। यहां के कई किसान अपने लिस्टर इंजनों को रसोई गैस से चला रहे हैं। नाम न छापने की शर्त पर किसानों ने बताया कि इंजन के एअर क्लीनर के माध्यम से गैस दी जाती है। 450 रुपये के सब्सिडी वाले सिलेंडर से लिस्टर इंजन पूरे पांच दिन तक यानी 60 घंटे चलता है। इस दौरान इंजन की स्टार्टिग डीजल से ही होती है। 12 घंटे में सिर्फ दो लीटर डीजल की खपत होती है। पांच दिन में 650 रुपए का 10 लीटर डीजल एवं 450 का सिलेंडर का कुल खर्च 1100 रुपया आता है। अगर 60 घंटे तक डीजल से यही इंजन चलाया जाए तो करीब 55 से 60 लीटर डीजल खर्च होता है और इसकी कीमत 3600 बनती है। इस तरह से पांच दिन में ढाई हजार की बचत सिंचाई में किसान कर लेते हैं। अगर बिना सब्सिडी बाला या ब्लैक का सिलेंडर भी इंजन में प्रयोग किया जाए तो भी दो हजार तक की बचत संभव है। खास बात तो यह है कि सिलेंडर से इंजन चलाने के लिए अलग से कोई महंगा उपकरण नहीं लेना पड़ता है। अगर कुछ नुकसान है तो यह कि कुकिंग गैस की किल्लत और बढ़ सकती है। जिला पूर्ति अधिकारी नसीम अख्तर ने बताया कि घरेलू गैस से जेनसेट चलाना कानूनी अपराध है। लोकेशन ट्रेस कर र्कारवाई करेंगे।