शहर के तीनों रेलवे फाटकों पर बनेगी दीवार : डीआरएम
मेरठ : मेवला फाटक समेत शहर के तीनों रेलवे ओवर ब्रिज के नीचे रेलवे फाटक पर हर हाल में दीवार बनेगी। ओवर ब्रिज निर्माण में लगी करोड़ों की धनराशि और हर रोज दिल्ली डिवीजन स्थित फाटकों पर औसतन 15 लोगों की मौत होने का हवाला देते हुए डीआरएम ने रेलवे फाटक खुले रखने की मांग पूरी करने से साफ इंकार कर दिया।
सोमवार को वेस्टर्न यूपी चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा बाम्बे बाजार स्थित सभागार में व्यापारियों की समस्याओं को लेकर रेलवे अधिकारियों के साथ बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें दिल्ली क्षेत्र के डिवीजनल रेलवे मैनेजर एके सचान ने कहा कि प्रदेश सरकार से हुए एग्रीमेंट के तहत रेलवे फाटक बंद करना रेलवे की मजबूरी है अगर प्रदेश सरकार ओवर ब्रिज के निर्माण में रेलवे का लगा शेयर वापस कर देती है तो वह फाटक नहीं बंद करेंगे।
कंकरखेड़ा, मलियाना और मेवला रेलवे फाटक पर ओवर ब्रिज का निर्माण किया गया है। रेलवे द्वारा बार -बार वहां पर दीवार खड़ी करने को लेकर स्थानीय व्यापारियों और निवासियों द्वारा विरोध किया जाता रहा है। संयुक्त व्यापार संघ पदाधिकारियों ने कहा कि मेवला फाटक से लगभग स्थानीय दस हजार छोटे उद्यमियों का रोजगार जुड़ा है। इसलिए रेलवे फाटक बंद न किया जाए। इस पर डीआरएम एके सचान और सीनियर डिवीजन इंजीनियर आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि ओवर ब्रिज के निर्माण में रेलवे पचास प्रतिशत की राशि का अंशदान करता है। यह राशि तभी रिलीज की जाती है जब प्रदेश सरकार से इस बात का एग्रीमेंट हो जाता है कि फाटक बंद होगा। ऐसे में वह कानून से बंधे हैं और रेलवे फाटक पर आवागमन बंद करना उनकी मजबूरी है। उन्होंने कहा कि अगर स्थानीय प्रशासन लोगों की मांग और कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर फाटक बंद नहीं कराता है तो वह प्रदेश सरकार से रेलवे के अंशदान को वापस करने के लिए प्रस्ताव भेजे। डीआरएम ने कहा कि फाटक पर छोटे वाहनों के आवागमन के विकल्प के लिए अगर प्रदेश सरकार कोई सब-वे का निर्माण करना चाहती है तो उसके लिए भी रेलवे पचास प्रतिशत का अंशदान करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि भविष्य में तैयार होने वाले पुलों के नीचे सब-वे का प्रावधान किया जा रहा है। इस अवसर पर नौचंदी और संगम रोज लेट होने की शिकायत भी व्यापारियों ने की। जिसपर डीआरएम ने कहा कि इन ट्रेनों की मानीटरिंग वह खुद करेंगे।
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क्रासिंग पर हर रोज मरते हैं 15 लोग
मेरठ : रेलवे के सीनियर डिवीजनल इंजीनियर आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि दिल्ली डिवीजन में लगभग 500 फाटक हैं। रोजाना ट्रेनों की चपेट में आने से औसतन 15 लोगों की मौत हो जाती है। व्यस्त ट्रैफिक वाले क्षेत्रों में यह ग्राफ बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि एक पुल पर रेलवे 15 से बीस करोड़ रुपये का अंशदान देता है।
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