रेल बस का पहले फेरे में एक यात्री ने किया सफर
जागरण संवाददाता, मथुरा: मथुरा-वृंदावन के बीच बुधवार को रेल बस ने पहला फेरा लगाया। पहले दिन एक ही यात
जागरण संवाददाता, मथुरा: मथुरा-वृंदावन के बीच बुधवार को रेल बस ने पहला फेरा लगाया। पहले दिन एक ही यात्री ने सफर किया। हालांकि इसके बाद यात्रियों की संख्या बढ़ती गई। रेल बस दिन में तीन फेरे लगाएगी और मथुरा-वृंदावन की दूरी 35 मिनट में तय करेगी।
जुलाई 2015 से बंद चल रही रेल बस का बुधवार को संचालन शुरू हो गया। सुबह पहले चक्कर में डिपो से एक भी यात्री नही मिला। जन्मभूमि से एक सवारी इसमें सवार हुई ।
रेल बस को सुबह 6.35 बजे वृंदावन के लिए प्रसाद वितरित कर रवाना किया गया। रेल बस को सीनियर सेक्शन इंजीनियर एके गौतम, चालक एसडी पांडे, टीटी हरिओम वर्मा, गेट मैन बच्चू ¨सह आदि लेकर रवाना हुए। रेल बस डिपो पर कोई भी यात्री इसमें सवार नहीं हुआ। श्रीकृष्ण जन्मभूमि से पहले चक्कर में केवल एक यात्री मिला। लौटने में पांच यात्री ही मिल सके। दूसरे चक्कर में मथुरा से जाते समय 8 और लौटने में 15 यात्री मिले। तीसरे और अंतिम चक्कर में मथुरा से जाते समय 7 और लौटने में 14 यात्रियों ने रेल बस में सफर किया। इसमें 56 यात्री बैठकर और 78 यात्री खड़े होकर सफर कर सकते हैं।
यह रहेगा समय: मथुरा से गाड़ी नंबर 72171 सुबह 6.35 बजे चलकर वृंदावन सुबह 7.10, गाड़ी नंबर 72173 सुबह 8.55 बजे चलकर वृंदावन सुबह 9.30, 72175 दोपहर 3.20 बजे चलकर वृंदावन 3.55 बजे पहुंचेगी। वहीं वृंदावन से गाड़ी संख्या 72172 सुबह 7.25 बजे चलकर मथुरा सुबह 8 बजे, 72174 सुबह वृंदावन से 9.40 बजे चलकर मथुरा 10.15 बजे और 72176 वृंदावन से शाम 4.10 बजे चलकर मथुरा शाम 4.45 पर पहुंचेगी। प्रत्येक रविवार को रख-रखाव के कारण रेल बस संख्या 72175 और 72176 का संचालन नहीं किया जाएगा।
जुलाई 2015 से बंद था संचालन: जुलाई 2015 में रेल बस खराब होने के कारण संचालन ठप हो गया था। अप्रैल में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी रेल मंत्री को रेल बस सही कराने के लिए पत्र लिखा था। मई में रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा आए थे तो उन्होंने रेल बस को सही कराने का आश्वास दिया। इसके बाद रेल बस को सही कराने के लिए एनई रेलवे की वर्कशॉप इज्जतनगर भेजा गया। सितंबर के अंतिम सप्ताह में दूसरी रेल बस भी सही होने के लिए इज्जतनगर भेज दी गई थी। आठ अक्टूबर को रेल बस सही होने के बाद मथुरा आ गई है। बुधवार को भी रेल बस को पहले चक्कर के बाद दुरुस्त किया जाता रहा।