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यूपी के नक्सलियों को उन्हीं की भाषा में सबक सिखाने की तैयारी

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार से सटे नक्सल प्रभावित सोनभद्र को समस्या से मुक्ति दिलाने के लिए यूपी पुलिस ने नया प्रयोग शुरू किया है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 19 Jul 2017 06:58 PM (IST)Updated: Thu, 20 Jul 2017 08:05 AM (IST)
यूपी के नक्सलियों को उन्हीं की भाषा में सबक सिखाने की तैयारी

सोनभद्र (जेएनएन)।  मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार सीमा से सटे नक्सल प्रभावित जिले सोनभद्र को इस समस्या से मुक्ति दिलाने के लिए यूपी पुलिस ने एक नया प्रयोग शुरू किया है। यहां के युवा जिस खाकी वर्दी को अपना दुश्मन मानते हैं अब उसी वर्दी को उन्हें पहनाने की रणनीति बनाई गई है। पुलिस ने यह कदम नक्सल सुधार की दिशा में किए गए अपने पहले प्रयोग कम्यूनिटी पुलिसिंग के फेल हो जाने के बाद उठाया है। अब नक्सलियों से मुकाबले के लिए उन्हीं के बीच के लोग होंगे। हालांकि इससे मिलता जुलता एक प्रयोग छत्तीसगढ़ में हो चुका है जिसे लोग सलवा जुडूम नाम से जानते थे, बाद में सरकार ने इसे समर्थन दिया तो यह एक खूनी प्रयोग साबित हो गया।

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सलवा जुडूम का हस्र

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ कथित तौर पर सरकार समर्थित एक आंदोलन सलवा जुडूम चलाया गया। इसमें स्थानीय लोग ही नक्सलियों का मुकाबला करते दिखे। कालांतर में यह व्यक्तिगत खुन्नस निपटाने और बेगुनाहों का खून बहाने की दिशा की ओर बढ़ गया और अदालत ने इसको प्रतिबंधित कर दिया। सलवा जुडूम एक आदिवासी शब्द है। इसका मतलब शांति यात्रा है। 2005 में सलवा जुडूम की शुरुआत महेंद्र कर्मा ने की थी। यह नक्सलियों को उन्हीं की भाषा में सबक सिखाने की तैयारी थी।

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चल रही तैयारी

योजना के पहले चरण में सोनभद्र और वाराणसी से ऐसे 20-20 युवाओं का चयन किया गया है जो बेरोजगारी अथवा आर्थिक तंगी के कारण नक्सलवादियों के संपर्क में थे। इनको पुलिस भर्ती के लिए तैयार किया जा रहा है। इन दिनों चल रही उपनिरीक्षक भर्ती प्रक्रिया में भी यहां के नौजवान ज्यादा से ज्यादा संख्या में चयनित हों इसके लिए बीएचयू में कुछ युवाओं को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस दिशा में सोनभद्र के पुलिस अधीक्षक राम प्रताप सिंह ने पुलिस लाइन में कोचिंग सेंटर की व्यवस्था कर रखी है। इसमें सोनभद्र जिले के बीस युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए भी आदिवासी युवाओं को कोचिंग की सुविधा दी जा रही है।

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पुलिस में विश्वास बढ़ेगा

पुलिस अधीक्षक के अनुसार जब ये युवा पुलिस की वर्दी पहनकर चलेंगे तो नक्सल प्रभावित क्षेत्र के लोगों में पुलिस के प्रति विश्वास जागेगा। अधिकांश आदिवासी युवा गरीबी व अन्य कारणों से नक्सलियों के बहकावे में आकर उनसे जुड़ जाते हैं। ऐसे में वे समाज की मुख्य धारा से कट जाते हैं। वे पुलिस को अपना जानी दुश्मन समझने लगते हैं। उन्होंने बताया कि कोचिंग में निश्शुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है। यहां 20 व वाराणसी में 20 युवा प्रशिक्षण ले रहे हैं। आगे रिजल्ट के अनुसार संख्या बढ़ायी जायेगी। चुर्क  पुलिस लाइन में नक्सल कोचिंग सेंटर में युवाओं को फार्म भरने से लेकर आगे तैयारी कैसे करें, कैसे सफलता मिलेगी इन बातों की जानकारी दी जाती है। यहां अन्य  कोचिंग सेंटरों से शिक्षकों को बुलाया गया है। बीच-बीच में वाराणसी व इलाहाबाद से भी अच्छे गेस्ट शिक्षक बुलाए जाते हैं। अभी पहला बैच चल रहा है, जिसमें कुल 20 युवा हैं। इन युवाओं को इस बात के लिए भी जागरूक किया जा रहा है कि वे अपने आस-पास के युवाओं को इस योजना की जानकारी दें।


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