घेराबंदी : अभी उन्नाव-कानपुर के बीच दहाड़ता रहेगा बाघ
लखनऊ। उन्नाव जिले के कन्हवापुर में बाघ पकड़ने की तैयारी हो रहीं थी और आज सुबह बाघ की लोकेश्
लखनऊ। उन्नाव जिले के कन्हवापुर में बाघ पकड़ने की तैयारी हो रहीं थी और आज सुबह बाघ की लोकेशन बदली नजर आई। दरअसल, यहां के सन्नी सराय गांव के एक व्यक्ति ने गांव के एक तालाब के पास बाघ की आवाज सुनी। थोड़ी देर बाद बाघ ने एक नील गाय को शिकार बना लिया। इस सूचना पर वन अधिकारियों ने पूरे क्षेत्र की घेराबंदी शुरू कर दी है। फिलहाल वन अधिकारी बाघ को पूरे धैर्य के साथ पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं। इसे पकड़ने में अभी आठ-दस दिन और लगने का अनुमान है।
कन्हवापुर जंगल में बाघ के ठिकाने को कल वन टीम ने चिह्नित कर लिया था। उसके ठिकाने से करीब डेढ़ किमी तक के हिस्से घेरने को 60 मोटे जाल मंगवाए गए हैं। अब उन्हें घेरने का काम चालू है चूंकि अब हाथी पर बैठकर कांबिंग नहीं होगी इसलिए अफसरों ने दो कैंपर जीप इस्तेमाल करना चालू कर दिया है। बाघ को कैद करने के लिए बांग्लादेश सीमा पर स्थित सुंदर वन से स्पेशल डिवाइस भी मंगाई जा रही है। वर्ल्ड वाइड फंड के यूपी, बिहार और उत्तराखंड टीम लीडर एके सिंह यहां पहुंच रहे हैं। डीएफओ रामकुमार कहते हैं कि जो प्लान बनाया गया है हम उसी हिसाब से काम कर रहे हैं। यदि इसी तरह ही काम करते रहे तो अगले 10 दिनों तक परिणाम निकलने की उम्मीद है। यहां धैर्य की जरूरत है। इसके सिवाय कोई दूसरा चारा नहीं दिख रहा।
चकमा देकर भागा बाघ
आज वर्ल्ड वाइड विंग व वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट आफ इंडिया की टीम उन्नाव-कानपुर गंगा कटरी और आसपास के चिह्नित ठिकाने पर जाल लगाने वाली थी। ठिकाने से तीन किमी. दूर सन्नी सराय जंगल में बाघ ने नीलगाय के बच्चे पर हमला बोला है। टीम ने उस इलाके का घेराव शुरू कर दिया। संसाधनों से लैस दो पैंकर भी आ गये। चूंकि वह इलाका दलदल व पानी से भरा था इसलिए वहां पर पैंकर नहीं चल पाया। इस बीच टीम को दोनों हाथी को बुलाना पड़ा, जब दोनों हाथी पहुंचे तो बाघ शिकार का खून चाट रहा था और उसके दोनों कान व एक हाथ खा चुका था। दोनों हाथी पर सवार होकर सर्च टीम ने कांबिंग शुरू की। बाघ पकड़ में नहीं आ सका और इसी बीच जंगल में दोनों हाथी चिंघाड़ने लगे। जिससे महावत को वापस लौटने पर मजबूर होना पड़ा। जिसके बाद अधिकारियों ने भी बाघ के चकमा देकर भागने की घोषणा कर दी। अब फिर से सर्च आपरेशन चलाया जाएगा।