संवेदनहीनता : कानपुर में कंधे पर बच्चे को लेकर दौड़ता रहा पिता, हालत गंभीर
फतेहपुर से पहुंचा पिता कल कानपुर के अस्पतालों में बच्चे को कंधे पर लेकर भागता रहा। उसे तो बस बुखार से तड़प रहे बेटे के इलाज की दरकार थी, लेकिन उसकी हालत गंभीर गंभीर हो गई है।
लखनऊ (वेब डेस्क)। प्रदेश सरकार लोगों को घर-घर तक इलाज की बात करती है लेकिन यहां तो अस्पतालों में ही इलाज नहीं मिल रहा है। धरती के भगवान (डॉक्टर्स) की संवेदनहीनता का ताजा शिकार कानपुर में एक बच्चा हुआ है। डाक्टर्स की घोर लापरवाही के कारण इस बच्चे की हालत गंभीर बनी है।
फतेहपुर से पहुंचा पिता कल कानपुर के कई अस्पतालों में बच्चे को कंधे पर लेकर भागता रहा। उसे तो बस बुखार से तड़प रहे बेटे को इलाज की दरकार थी, लेकिन इलाज के अभाव में उसकी हालत गंभीर हो गई है।
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फतेहपुर के जहानाबाद के दारी गांव से कानपुर आए रमेश चंद्र के पुत्र रोहित को बुखार के साथ पेट में दर्द था। वह स्ट्रेचर नहीं मिलने के कारण अपने बेटे रोहित को कंधे पर लेकर भागते रहे। कानपुर के उर्सला अस्पताल में रमेश अपने पुत्र रोहित को कंधे पर लेकर करीब तीन घंटे तक अस्पताल के इस वार्ड से उस वार्ड तक भागते रहे। रमेश दो दिन पहले बेटे को बुखार होने पर इलाज के लिए पहुंचे थे।
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अब बच्चे रोहित की हालत गंभीर हो गई है। हैलट अस्पताल में डॉक्टरों की संवेदनहीनता के कारण रोहित को वहां समय पर इलाज नहीं मिला। पिता रमेश को स्ट्रेचर तक नहीं मिला और रमेश अपने पुत्र रोहित को हर उस जगह पर कंधे पर लेकर जा रहे थे, जहां-जहां डाक्टर भेज रहे थे।
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इस मामले को कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कालेज के प्राचार्य ने संज्ञान लिया है। प्राचार्य डॉक्टर नवनीत कुमार ने इस मामले में जांच समिति गठित की है। अब जांच रिपोर्ट आने के बाद कठोर कार्रवाई होगी। दस वर्ष के रोहित की इलाज के अभाव में हालत गंभीर होने पर बाल आयोग ने भी संज्ञान लिया है। बाल आयोग ने भी इस मामले की जांच का आदेश दिया है।
मरीज को स्ट्रेचर न देने की जांच शुरू
फतेहपुर के मरीज के लिए स्ट्रेचर की व्यवस्था न करने के मामले में शासन स्तर पर स्वास्थ्य महानिदेशक ने जांच शुरू कर दी है।
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उन्होंने जीएसवीएम मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ. नवनीत कुमार को जांच सौंपी है। कल फतेहपुर में जहानाबाद के दारी गांव निवासी रमेश अपने बेटे रोहित को लेकर उर्सला अस्पताल आये थे। रोहित को तेज बुखार और पेट में दर्द था। उसके लिए चलना मुश्किल हो रहा था। अस्पताल में उसके लिए जब स्ट्रेचर की कोई व्यवस्था नहीं हो सकी तो रमेश बेटे को पीठ पर ही उठाकर चल दिये। जागरण में छपी फोटो और समाचार के आधार पर स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. उमेश प्रसाद ने जांच के आदेश किये हैं। इस संबंध में मेडिकल कालेज प्राचार्य डॉ. नवनीत कुमार का कहना है कि उन्हें इस जांच को लेकर कोई जानकारी नहीं है।