Move to Jagran APP

UP : आइसीयू की मेडिकल डिवाइस ही बढ़ा रही संक्रमण

किसी की जान आफत में आने पर चिकित्सकों की सलाह पर उसको वेंटीलेटर पर रखा जाता है। परिवारीजन मरीज की जिंदगी बचाने को बड़ी उम्मीद के साथ उसे आइसीयू में रखते हैं और इलाज पर मोटा पैसा खर्च करते हैं। यह भी देखा गया कि जीवन बचाने के लिए होने

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 03 Dec 2015 11:39 AM (IST)Updated: Thu, 03 Dec 2015 12:26 PM (IST)
UP : आइसीयू की मेडिकल डिवाइस ही बढ़ा रही संक्रमण

लखनऊ। किसी की जान आफत में आने पर चिकित्सकों की सलाह पर उसको वेंटीलेटर पर रखा जाता है। परिवारीजन मरीज की जिंदगी बचाने को बड़ी उम्मीद के साथ उसे आइसीयू में रखते हैं और इलाज पर मोटा पैसा खर्च करते हैं। यह भी देखा गया कि जीवन बचाने के लिए होने वाले उपाय ही मरीजों के जिंदगी पर भारी पड़ते हैं। सेंट्रल लाइन, वेंटीलेटर और कैथेटर जैसी मेडिकल डिवाइस संक्रमण का सबब बनकर करीब 45 फीसद बड़े और लगभग नौ फीसद बच्चों के जीवन के लिए खतरा पैदा करती हैं।

loksabha election banner

पहली बार देश के बीस शहरों के 40 अस्पताल के आइसीयू में डिवाइस एसोसिएटेड संक्रमण विषय को लेकर शोध किया गया जिसमें संजय गांधी पीजीआइ का क्रिटिकल केयर विभाग भी शामिल हुआ। शोध में दो लाख 36 हजार सात सौ आइसीयू में भर्ती होने वाले मरीजों में लगने वाले डिवाइस के कारण संक्रमण की स्टडी की गई। आइसीयू में मरीजों में सेंट्रल लाइन, वेंटीलेटर और कैथेटर मुख्य रूप से डाला जाता है। विशेषज्ञों ने देखा कि आइसीयू में भर्ती होने वाले एक हजार बड़े उम्र के मरीजों में से 16.6 मरीजों में मेडिकल डिवाइस से संक्रमण होता है। नियोनेटल आइसीयू में भर्ती होने वाले एक हजार बच्चों में से 55.3 बच्चों में डिवाइस के कारण संक्रमण होता है। आइसीयू में रुकने के समय के साथ ही संक्रमण रेट बढ़ता जाता है। आइसीयू में भर्ती होने वाले कुल मरीजों में से 45.6 मरीजों की मौत का कारण उनके जीवन को बचाने लिए लगने वाले उपकरणा होता है जबकि नियोनेटल आइसीयू में यह 9.5 फीसद बच्चों को मौत का कारण बनता है। देखा गया कि एक हजार सेंट्रल लाइन में से 5.1 सेंट्रल लाइन में ब्लड स्ट्रीम में संक्रमण हुआ, 9.4 में वेंटीलेटर के कारण निमोनिया और 2.1 में केथेटर के कारण यूरीनरी ट्रैक्ट संक्रमण हुआ। नियोनेटल आइसीयू में एक हजार सेंटर लाइन में से 36.2 , 9.1 में वेंटीलेटर के कारण निमोनिया और 10.0 कैथेटर का कारण यूटीआइ हुआ।

बच्चों में डिवाइस एसोसिएटेड संक्रमण बड़ों के मुकाबले अधिक होता है, लेकिन बच्चों की मौत दर कम पायी गई। आइसीयू में 16.3 फीसद बड़े मरीजों की मौत सेंट्रल लाइन से रक्त प्रवाह में संक्रमण, 22.7 फीसद की मौत वेंटीलेटर के कारण निमोनिया और 6.6 फीसद की मौत कैथेटर से यूटीआइ के कारण होती है। नियोनेटल आइसीयू में 1.2 फीसद बच्चों की मौत का कारण सेंट्रल लाइन और 8.3 फीसद बच्चों के मौत का कारण वेंटीलेटर बनता है।

कम डिवाइस का इस्तेमाल फिर भी संक्रमण

विशेषज्ञों ने कहा है कि हम लोग कम डिवाइस का इस्तेमाल करते है फिर भी इंफेक्शन रेट नेशनल हेल्थ केयर सेफ्टी नेटवर्क से अधिक है। इस शोध को संक्रमण कंट्रोल एंड हास्पिटल इपीडियोमोलॉजी जर्नल ने स्वीकार किया है। शोध में दिल्ली, मुंबई, कोलकता, चेन्नई, गाजियाबाद, लखनऊ, भुवनेश्वर, पुणे सहित अन्य शहरों को बड़े अस्पताल शामिल हैं। संजय गांधी पीजीआइ के पोस्ट ऑफ के प्रभारी प्रो.देवेंद्र गुप्ता व विभाग के प्रमुख प्रो. पीके सिंह कहते है कि वेंटीलेटर, सेंट्रल लाइन और यूरीन पास करने के लिए कैथेटर लगाना मजबूरी होती है जो कई बार परेशानी खड़ी करती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.