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    सपा का संग्राम- एक दूसरे को नजरअंदाज कर निकल गये अखिलेश और शिवपाल

    By Nawal MishraEdited By:
    Updated: Fri, 14 Oct 2016 09:54 AM (IST)

    सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने कहा कि कार्यकर्ता जनता के बीच नहीं जाते। उनके काम नहीं करते। वह सिर्फ बड़े नेताओं के ईर्द-गिर्द नारे लगाने में व्यस्त रहते हैं।

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    लखनऊ (जेएनएन) मुलायम परिवार की कलह बुधवार को तब फिर सार्वजनिक हुई जब एक ही समय और और एक ही जगह मौजूद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके चाचा व प्रदेश सपा अध्यक्ष शिवपाल यादव ने एक दूसरे की अनदेखी कर दी। शिवपाल तो मुख्यमंत्री को देखकर दूसरे कमरे में चले गए जबकि अखिलेश ने भी उनसे मिलने की पहल नहीं की। जगह थी डा. राममनोहर लोहिया न्यास भवन और मौका था डा. लोहिया की पुण्यतिथि पर सुबह करीब साढ़े दस बजे आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम का।

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    समाजवादी परिवार का 'संग्राम फिर एक कदम बढ़ गया। मंगलवार को जेपी सेंटर के उद्घाटन में इसकी झलक दिखी थी तो बुधवार को यह खुलकर सामने आया। डा. लोहिया न्यास के बाद मुख्यमंत्री लोहिया पार्क पहुंचे जहां श्रद्धांजलि अर्पित कर चुपचाप लौट गए। उनके बाद मुलायम और शिवपाल पहुंचे। यहां मुलायम ने कहा कि कार्यकर्ता मेहनत तो करते हैं मगर समाजवादी सिद्धांतों पर नहीं चलते। कुछ युवा सिर्फ नारेबाजी करते हैं। वे टिकट चाहते हैं लेकिन क्षेत्र में उन्हें कोई जानता नहीं। डाक्टर लोहिया की पुण्यतिथि पर समाजवादी पार्टी विपक्ष में रहने से लेकर अब तक लोहिया पार्क में बड़ा आयोजन करती आयी है मगर बुधवार के कार्यक्रम में पार्टी नेताओं के अंदाज जुदा थे। मुलायम ने अपना भाषण चंद मिनटों में ही खत्म कर दिया जबकि पिछले वर्षों में यह कार्यक्रम चार घंटे तक चलता था।

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    सिद्धांत छोड़े युवाओं ने
    मुलायम ने कहा आजकल के लड़के सिर्फ नारेबाजी करते हैं, इससे तो राजनीति नहीं चलती। कोई न किताब खरीदता है और न पढ़ता है। पुस्तकालय तक नहीं जाते। जब कहा कि जो पढ़ेगा, उसी को टिकट देंगे तो कुछ लोगों ने किताबें खरीदीं मगर पढ़ा फिर भी नहीं।
    मैं रात भर नहीं सोया
    मुलायम सिंह यादव बुधवार को संभवत: पहली बार सार्वजनिक मंच पर भावुक नजर आए। कहा 'मैं रात भर सोया नहीं। मंगलवार दोपहर दिल्ली गया था, जहां देश के एक बड़े राजनीतिक चिंतक से लंबी चर्चा की। फिर रात भर सो नहीं पाया। सुबह पहली फ्लाइट पकड़कर आ गया। वह जब सो नहीं पाने की बात कर रहे थे, तब उनके चेहरे पर परिवार के 'संग्राम से जन्मी पीड़ा साफ झलक रही थी।

    नेता, डाक्टर नादान
    मुलायम ने कहा कि डाक्टरों ने ऑपरेशन के बाद सात दिनों तक डा. लोहिया की पट्टी नहीं खोली थी जिससे उनके जख्म में मवाद पड़ गया। लोहिया को जब अहसास हो गया कि वह अब नहीं बचेंगे, तब उन्होंने होश में आने पर मुझसे कहा था- 'आजकल के राजनीतिज्ञ और डॉक्टर दोनों ही नादान हैं। सपा प्रमुख बोले, 'मेरी उनसे आखिरी मुलाकात 23 अगस्त 1967 को हुई थी और 12 अक्टूबर को उनका निधन हो गया।

    मुख्यमंत्री ने दी श्रद्धांजलि
    मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सुबह साढ़े दस बजे ही लोहिया पार्क पहुंच गए थे। यह पहला मौका था जब अखिलेश यादव लोहिया की पुण्यतिथि पर बिना किसी संबोधन और सपा अध्यक्ष का इंतजार किये बगैर कार्यक्रम स्थल से लौटे। इस तरीके को परिवार में चल रहे संग्र्राम व अनेक फैसलों पर उनकी नाराजगी के रूप में देखा जा रहा है।

    लोहिया के भाषणों की सीडी जारी
    समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता दीपक मिश्र द्वारा संकलित डा. लोहिया के 50 प्रमुख भाषणों की एक सीडी व पेन ड्राइव जारी हुई। इनमें संसद के भीतर और बाहर लोहिया के भाषण हैं। आपातकाल के दौरान दिया गया उनका भाषण भी इसी सीडी में है।