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Mathura Clash: रामवृक्ष को था पूरे यादव परिवार का संरक्षण : भाजपा

भाजपा संसदीय दल ने मथुरा मामले में कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव की बर्खास्तगी की मांग उठाई। दल के सदस्य मेरठ सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि लोकसभा चुनाव में रामवृक्ष यादव ने सपा के लिए चुनाव प्रचार किया था। उसको पूरे यादव परिवार का संरक्षण था।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sun, 05 Jun 2016 08:01 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jun 2016 09:35 PM (IST)

लखनऊ। मथुरा के जवाहर बाग कांड को लेकर भाजपा ने सपा सरकार और कद्दावर मंत्री शिवपाल यादव पर हमले तेज कर दिए हैं। आज भाजपा संसदीय दल ने सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव की बर्खास्तगी की मांग उठाई। पत्रकार वार्ता में समिति सदस्य मेरठ सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि लोकसभा चुनाव में नक्सली रामवृक्ष यादव ने फीरोजाबाद जाकर सपा के लिए चुनाव प्रचार किया था। रामवृक्ष को पूरे यादव परिवार का संरक्षण था। मुख्यमंत्री ने चाचा-ताऊ और भाई-भतीजावाद के चक्कर में प्रदेश की कानून व्यवस्था को ताक पर रख दिया है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के निर्देश पर सांसदों व विधायकों का दल यहां पहुंचा। जवाहर बाग के बाद यह दल शहीद एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी के घर पहुंचा और न्याय दिलाने का आश्वासन दिया। दोपहर में पत्रकार वार्ता में संसदीय दल के सदस्य और मेरठ के सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने आरोप लगाया कि रामवृक्ष ने लोकसभा चुनाव 2014 में सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल के पुत्र अक्षय यादव के लिए फीरोजाबाद जाकर चुनाव प्रचार किया था। जवाहर कांड और रामवृक्ष के राजनीतिक रिश्तों को उजागर करने के लिए सीबीआइ जांच होनी चाहिए। संरक्षण के आरोपों से घिरे मंत्री शिवपाल यादव को तत्काल इस्तीफा देना चाहिए। एटा के सांसद राजवीर सिंह राजू ने कहा कि मौजूदा डीएम और एसएसपी पूरे मामले में साफ तौर पर दोषी हैं, लेकिन शासन ने कोई कार्यवाही नहीं की है। पिछले ढाई साल से इन उपद्रवियों को राशन, बिजली और पानी सपा के किस बड़े नेता के इशारे पर उपलब्ध कराया जा रहा था, यह तथ्य जनता के सामने आना चाहिए। हाथरस के सांसद राजेश दिवाकर ने मामले की सीबीआइ जांच की मांग उठाई।

रामवृक्ष को जयगुरुदेव के उत्तराधिकारी का साथ

जवाहरबाग के मुखिया रामवृक्ष यादव को लेकर जयगुरुदेव के दो शिष्य गुटों के बीच तलवारें खिंच गई हैं। पुराने शिष्य उमाकांत तिवारी गुट ने आज कहा कि रामवृक्ष और जयगुरुदेव के उत्तराधिकारी पंकज की जुगलबंदी थी। जवाहरबाग पर कब्जा इनकी साजिश का हिस्सा था। इसमें उप्र सरकार का समर्थन था। मामले की सीबीआइ जांच होनी चाहिए। वहीं जय गुरुदेव के उत्तराधिकारी पंकज के पक्ष का कहना है कि ऐसे आरोप लगाने वालों का मुखिया ही भगोड़ा है। वैसे रामवृक्ष नक्सली था, हम आध्यात्मिक लोग हैं। उससे हमारा कोई लेना-देना नहीं था। 18 मई 2012 को जय गुरुदेव के निधन के बाद उत्तराधिकारी को लेकर घमासान हुआ था। एक तरफ उनके शिष्य उमाकांत तिवारी का दावा था, तो दूसरी तरफ गुरुदेव के साथ रहने वाले पंकज थे। बाद में पंकज उत्तराधिकारी बने और उज्जैन चले गए। वहां जयगुरुदेव के नाम से आश्रम बनाया। जवाहरबाग ऑपरेशन में मारे गए कथित सत्याग्रहियों के नेता रामवृक्ष यादव के नेटवर्क को लेकर सवार उठे।

रामवृक्ष को था जयगुरुदेव आश्रम के एक गुट का समर्थन

रामवृक्ष ने अप्रैल 2014 में जवाहरबाग पर कब्जा जमाने के बाद अपनी मांगों को लेकर कोर्ट की शरण ली। उसने जयगुरुदेव के निधन की सत्यता पर सवाल उठाने के साथ मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने की मांग की, तब से ही ये माना जा रहा था कि रामवृक्ष यादव को जयगुरुदेव आश्रम के विरोधी गुट का समर्थन प्राप्त है। जागरण ने मामले में उमाकांत तिवारी गुट से संपर्क किया। उनके प्रवक्ता रमाकांत पांडेय ने कहा कि जवाहरबाग में रामवृक्ष को ठहराने के पीछे पंकज का सहयोग रहा है। पांडेय ने कहा कि जय गुरुदेव आश्रम प्रकरण और जवाहर बाग कांड, दोनों की सीबीआइ जांच होनी चाहिए। वहीं उनका जवाब देते हुए जयगुरुदेव संस्था के प्रबंधक चरन सिंह एडवोकेट ने इन बातों को निराधार बताया। उन्होंने कहा कि हम तो रामवृक्ष को जानते तक नहीं हैं।


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